‘मन की बात’ में छाया उत्तराखंड, पीएम मोदी ने स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को सराहा

देहरादून, 30 सितंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव रहा है. प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उत्तराखंड छाया रहा है. शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ पर आगामी तीन अक्टूबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम दस वर्ष पूरे कर लेगा. इन दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार उत्तराखंड का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं, युवाओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपने कार्यों से पूरे देश और समाज के सामने आदर्श मिसाल पेश की है. कई कार्यों को प्रेरणाजनक बताते हुए उन्होंने पूरे देश का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया.

‘मन की बात’ के 114वें एपिसोड में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तरकाशी के सीमांत गांव झाला का जिक्र किया. इस गांव के ग्रामीण हर रोज दो-तीन घंटे गांव की सफाई में लगाते हैं. गांव का सारा कूड़ा-कचरा उठाकर गांव से बाहर निर्धारित स्थान पर रख दिया जाता है. ग्रामीणों ने इसे ‘धन्यवाद प्रकृति अभियान’ नाम दिया है. प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों की मुहिम की सराहना कर कहा कि देश के हर गांव में यह अभियान शुरू होना चाहिए.

रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक की ग्राम पंचायत लुठियाग में महिलाओं ने जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय पहल की है. चाल-खाल (छोटी झील) बनाकर बारिश के पानी का संरक्षण किया. इस मुहिम से गांव में सूख चुके प्राकृतिक जलस्रोत पुनर्जीवित होने से पेयजल की किल्लत काफी हद तक दूर हो गई है और सिंचाई के लिए भी पानी मिलने लगा है. पीएम मोदी ने महिलाओं के प्रयासों की सराहना कर इसे अनुकरणीय बताया. यहां ग्रामीणों को पानी के लिए तीन किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता था.

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में कोरोना काल में बेहतर काम करने वाली बागेश्वर की एएनएम पूनम नौटियाल की खूब सराहना की. कोरोना का टीका लगाने के लिए पूनम ने रोज पांच से सात किमी का पैदल सफर तय किया. जो लोग वैक्सीन लगाने से डर रहे थे, उन्हें भी पूनम ने जागरूक किया. पीएम मोदी ने स्वयं भी पूनम से बात की. पीएम मोदी ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने से वैक्सीनेशन का सारा सामान इन्हें खुद ही अपने कंधे पर उठाकर ले जाना होता था.

वहीं, गुप्तकाशी के सुरेंद्र प्रसाद बगवाड़ी स्वच्छता अभियान में जुटे हैं. उन्होंने रुद्रप्रयाग के तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को गदेरे की सफाई करते देखा तो उन्होंने भी सफाई में जुटने का फैसला किया. वह केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित हैं.

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में धारचूला के ‘रं समाज’ का जिक्र किया. अपनी बोली-भाषा को बचाने के लिए ‘रं समाज’ द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रधानमंत्री मोदी ने जमकर तारीफ की. इसे पूरी दुनिया को राह दिखाने वाली पहल बताया. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने धारचूला में ‘रं समाज’ के लोगों द्वारा अपनी बोली को बचाने के प्रयास की कहानी एक किताब में पढ़ी.

रुद्रप्रयाग के मनोज बैंजवाल पवित्र स्थलों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने में जुटे हैं. पीएम मोदी ने उनकी सराहना की है, जो घाट गंदगी से पटे थे, उन्होंने वहां सफाई कर आरती शुरू कर दी. अन्य लोगों को भी इससे जोड़ा. अब लोगों ने वहां गंदगी फैलाना बंद कर दिया. उन्होंने तुंगनाथ, बासुकीताल आदि बुग्यालों को कचरे से मुक्त करने के लिए अभियान चलाया. अब वह स्कूलों में छात्रों को जागरूक कर रहे हैं.

देहरादून के दीपनगर निवासी छात्रा गायत्री ने रिस्पना नदी की पीड़ा को प्रधानमंत्री के सामने रखा था. उन्होंने बताया कि यह नदी अब लगभग सूख चुकी है. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग पूरे देश को सुनाई थी.

नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री ने इस कार्य की सराहना की. इस लाइब्रेरी की खासियत है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और यह सेवा बिल्कुल नि:शुल्क है. अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है. बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी खूब आगे आ रहे हैं.

राजकीय इंटर कालेज कोटद्वार में गणित के शिक्षक संतोष नेगी की ओर से जल संरक्षण के लिए किए गए प्रयोग को प्रधानमंत्री ने सराहा था. संतोष नेगी ने कॉलेज परिसर में दो सौ गड्ढे बनाकर उनमें बारिश के पानी का संचय किया, जिससे पूरा परिसर हरियाली से भर गया.

वहीं, पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के उफ्रेखाल निवासी रिटायर्ड शिक्षक सचिदानंद भारती ने वर्ष 1989 में उफ्रेखाल में चाल खाल बनाकर बारिश के जल का संरक्षण किया. उन्होंने 30 हजार से अधिक चाल-खाल बनाकर बांज और बुरांश के पेड़ लगाए. इसका परिणाम हुआ कि 10 साल से सूखा नाला पुनर्जीवित हो उठा. उन्होंने अपने अभियान को ‘पाणी राखो’ नाम दिया है.

गुप्तकाशी के देवरगांव की चंपा देवी स्कूल में भोजन माता है और लोगों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही हैं. उन्होंने बंजर भूमि पर पेड़ लगाकर उसे हराभरा बनाया है. चमोली जिले के उच्च हिमालय क्षेत्र में उगने वाले दुर्लभ भोजपत्र की छाल पर महिलाएं अपनी कलम चलाकर पुरातन संस्कृति की याद दिला रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी के बद्रीनाथ दौरे के दौरान सीमांत नीति माणा घाटी की महिलाओं ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा एक अभिनंदन पत्र भेंट किया था. इसके बाद प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में महिलाओं की इस पहल की सराहना की.

रुड़की क्षेत्र में स्थित रोटर कंपनी का प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वन्य जीव संरक्षण और इको टूरिज्म के लिए नए-नए इनोवेशन युवा सामने ला रहे हैं . रुड़की में रोटर प्रीसिशन ग्रुप ने वन्य जीव संस्थान की मदद से ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जिससे नदी में घड़ियालों पर नजर रखने में मदद मिल रही है.

जनपद बागेश्वर के रीमा गांव के निवासी पूरण सिंह उत्तराखंड की लोक संस्कृति के संरक्षण में जुटे हैं. उत्तराखंड की लोक विधा जागर, न्योली, हुड़का बोल, राजुला मालूशाही लोकगाथा के गायन में उन्होंने खास पहचान बनाई है. पूरण सिंह की बचपन में ही दोनों आंखें खराब हो गई थी. वह पहाड़ी गीत झोड़ा, छपेली, चाचरी, न्यौली, छपेली, जागर आदि सुना करते थे. आंखें खराब होने से वह पढ़ाई नहीं कर पाए. उन्होंने बाल्यावस्था से ही गायन शुरू कर दिया.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को उत्तराखंड से अगाध प्रेम है. उत्तराखंड उनके दिल में बसता है. यह उनके देवभूमि से असीम लगाव को ही प्रदर्शित करता है कि प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देवतुल्य जनता, प्राकृतिक संपदा, रीति-नीति और लोक परंपराओं का अक्सर जिक्र किया है. इस कार्यक्रम ने छोटे से छोटे स्तर पर काम करने वालों को भी देश-दुनिया में पहचान दी है.

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नवरात्रि के शुभारंभ पर आगामी तीन अक्टूबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 10 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. दस वर्षों में इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सामाजिक संगठनों और लोगों द्वारा जनहित में किए गए अनेक कार्यों का जिक्र कर लोगों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया है.

एसके/एबीएम