दुर्भाग्यपूर्ण है हम पेरिस ओलंपिक में मुक्केबाजी में मेडल नहीं जीत सके : मैरी कॉम

नई दिल्ली, 30 सितंबर . छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरी कॉम ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों के खराब प्रदर्शन पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि एक पदक विजेता होने के नाते, यह स्वाभाविक है कि उन्हें बुरा लगा है.

पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत ने छह मुक्केबाजों की टीम भेजी थी, जिसमें दो पुरुष और चार महिलाएं शामिल थीं. इसमें टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन और विश्व चैंपियन निकहत जरीन भी थीं.

मैरी कॉम ने आर्मी स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव के दौरान से कहा, “ओलंपिक प्रदर्शन को देखकर दुख होता है कि हम 2024 ओलंपिक में कोई पदक नहीं जीत सके. हमें यह देखना होगा कि आगे क्या सुधार करना है और किन गलतियों से बचना है.”

पेरिस ओलंपिक में लवलीना (महिला 75 किग्रा) ऐतिहासिक दूसरा पदक जीतने से चूक गईं और क्वार्टर फाइनल में चीन की ली कियान से हार गई थीं. वहीं, पुरुष 71 किग्रा वर्ग में निशांत देव क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मेक्सिको के मार्को वर्डे से हार का सामना करना पड़ा था.

दो बार की विश्व चैंपियन निकहत जरीन (महिला 50 किग्रा), कॉमनवेल्थ चैंपियन अमित पंघाल (पुरुष 51 किग्रा) और प्रीति पवार (महिला 54 किग्रा) अपने-अपने वर्ग में राउंड ऑफ 16 में हार गए. जेस्मिन लांबोरिया (महिला 57 किग्रा) राउंड ऑफ 32 में बाहर हो गई थी. कुल मिलाकर भारत का पेरिस ओलंपिक मुक्केबाजी अभियान निराशाजनक रहा था.

मैरी कॉम ने इस पर कहा, “एक विश्व चैंपियन और पदक विजेता होने के नाते, निराश होना स्वाभाविक है. अब हम आगामी टूर्नामेंट के लिए अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत पर ध्यान देंगे.”

उल्लेखनीय है कि अब तक केवल तीन भारतीय मुक्केबाजों ने ओलंपिक में पदक जीते हैं-विजेंदर सिंह (बीजिंग 2008 में कांस्य), मैरी कॉम (लंदन 2012 में कांस्य) और लवलीना (टोक्यो 2020 में कांस्य).

पेरिस ओलंपिक में भारत के कुल पदकों की संख्या 6 रही थी. इस बार भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निशानेबाजी में आया था जहां तीन कांस्य पदक जीते गए. इसके अलावा नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में सिल्वर, हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता था और रेसलिंग में अमन सहरावत ने भी कांस्य जीता था.

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