डीयू छात्र संघ चुनाव के नतीजे रोके जाने पर एबीवीपी ने रखी पांच मांगें

नई दिल्ली, 28 सितंबर . दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के नतीजों पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के नतीजे जल्द घोषित किए जाने चाहिए, छात्रों का प्रतिनिधित्व जरूरी है. छात्र संघ शिक्षा क्षेत्र और युवाओं के मुद्दों को उठाने का सशक्त माध्यम रहा है.

से बातचीत में उन्होंने कहा कि हमारी पांच मांगें हैं. हम हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. लेकिन सवाल यह है कि अगर हमें पक्षकार बनाया गया था, तो हमारी राय भी ली जानी चाहिए थी. हाईकोर्ट ने चुनाव नतीजों पर रोक लगाने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव लड़ रहे किसी भी दल और प्रत्याशी से कुछ नहीं पूछा. किसी को किसी तरह का कोई नोटिस भी नहीं दिया गया. यह एकतरफा फैसला आया है. इसकी एक बार समीक्षा होनी चाहिए. दूसरी मांग यह है कि पूरे चुनाव को एक तरह से देखा जाए, तो चुनाव सुधार की जरूरत है, ताकि छात्रों की लामबंदी और छात्र संघ चुनाव को थोड़ा और प्रभावी और प्रासंगिक बनाया जा सके.

तीसरी मांग करते हुए उन्होंने कहा कि कई लोग छात्र संघ चुनाव को नकारात्मक प्रचार के तौर पर दिखाने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा, “मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं कि जब बार काउंसिल का चुनाव होता है, तो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पोस्टर क्यों लगाए जाते हैं? उस समय वही लोग चुप क्यों रहते हैं? जब दिल्ली यूनिवर्सिटी में होर्डिंग लगाए जाते हैं, तो उस समय पर्चे भी उड़ते होंगे. इसलिए हाईकोर्ट को इस पर गहनता से गौर करना चाहिए.”

चौथी मांग करते हुए याज्ञवल्क्य शुक्ला ने कहा कि जब दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनाव हो चुके हैं, तो उसके नतीजे बिना किसी देरी के सार्वजनिक किए जाने चाहिए. क्योंकि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में छात्रों का विश्वास बहाल करने की प्रक्रिया है. पांचवां अहम सवाल दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से यह भी है कि अगर कुछ गलत है, तो उसे रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए. उसे खारिज करने की प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि आज दिल्ली विश्वविद्यालय के संबंध में हाईकोर्ट ने जो सख्त टिप्पणी की है, उसे लेकर सुधार होना चाहिए. हमें भी लगता है कि कुछ चीजें गलत हैं और उन्हें रोका जाना चाहिए. नतीजों को रोकना स्वीकार्य नहीं है.

आरके/