बेरूत, 28 सितंबर . लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने शनिवार को अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि कर दी है. इससे पहले इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने दावा किया था कि उन्होंने हिजबुल्लाह चीफ को मार गिराया है. आईडीएफ के मुताबिक शुक्रवार देर रात बेरूत के दक्षिणी उपनगरीय इलाके दहिह में हिजबुल्लाह हेडक्वार्टर पर किए गए हमले में नसरल्लाह मारा गया.
ईरान के सरकारी न्यूज नेटवर्क प्रेस टीवी ने शनिवार को एक्स पर लिखा, ‘हिजबुल्लाह ने शुक्रवार को बेरूत पर इजरायली हमले में अपने नेता सैयद हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की.’
हालांकि इससे पहले ईरान की तरफ से यह दावा किया गया था कि नसरल्लाह को एक सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है. बता दें हिजबुल्लाह की स्थापना में ईरान का अहम रोल था. तेहरान हमेशा हिजबुल्लाह के साथ खड़ा रहा है.
आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी ने नसरल्लाह के खात्मे के बाद कहा, “मैसेज क्लियर है, हम हर उस शख्स तक पहुंचना जानते हैं जो इजरायल के नागरिकों के लिए खतरा है.”
नसरल्लाह, 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के बाद, हिजबुल्लाह की स्थापना के समय से ही इसके साथ जुड़ा हुआ था. 1992 में उसने संगठन के नेता के रूप में कार्यभार संभाला था.
नसरल्लाह का हिजबुल्लाह पर पूरा नियंत्रण था. वह संगठन का महासचिव होने के साथ ही शूरा परिषद का प्रमुख था. शूरा परिषद हिजबुल्लाह के धार्मिक, सैन्य, रणनीतिक मामलों के लिए फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है.
नसरल्लाह का मारा जाना हिजबुल्ला के लिए सबसे बड़ी चोट है. उसके नेतृत्व में जहां हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया, वहीं ईरान के साथ मजबूत गठबंधन बनाए रखा.
हेलेवी के मुताबिक, “आतंकवादी हसन नसरल्लाह, हिजबुल्लाह के नेता के रूप में 32 वर्षों के कार्यकाल के दौरान, कई इजरायली नागरिकों और सैनिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार था. वह इजरायल स्टेट और दुनिया भर में हजारों आतंकी योजनाएं बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए जिम्मेदार था. नसरल्लाह संगठन में एकमात्र फैसले लेने वाला व्यक्ति था.”
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