नई दिल्ली, 28 सितंबर . नियम सर्वोपरी. चाहे नियम तोड़ने वाला हो या इसका रखवाला. हर किसी के लिए नियमों में रहना जरूरी है. सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार और उसका कहर हम सबने देखा है. प्रशासन लाख कोशिशों में लगी है, सड़कों पर स्पीड कैमरे लगाए जा रहे हैं, ऑटोमैटिक चालान हो रहे हैं, लेकिन, इन तमाम कोशिशों के बावजूद तेज रफ्तार के कारण हादसे थम नहीं रहे. यही कारण है कि पुलिस कई बार इसके खिलाफ सख्त रुख अपना लेती है, जिससे कई बार निर्दोष लोग भी इसके चपेट में आ जाते हैं.
तो जान लीजिए कि आखिर यातायात नियम क्या हैं? और कैसे इसका सही उपयोग किया जा सकता है.
दरअसल, भारत में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 लागू है. इसके तहत ट्रैफिक पुलिस को यातायात व्यवस्था को दुरूस्त रखना होता है. पुलिस को नियमों का पालन कराने और किसी तरह के हादसों को टालने के लिए सड़क पर चलने वाले वाहनों के चालकों को जागरूक करना होता है.
ट्रैफिक पुलिस अगर आपकी गाड़ी को रोके और आपसे वाहन रजिस्ट्रेशन, बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, फिटनेस सर्टिफिकेट या ड्राइविंग लाइसेंस मांगे तो आपके पास अधिकार होता है कि आप उनको ऑफिशियल आईडी दिखाने के लिए बाध्य कर सकते हैं. यही नहीं, आपको अधिकार है कि आप उनका नंबर प्लेट देखने के साथ उनका बैच नंबर भी नोट कर सकते हैं.
मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के मुताबिक, अगर कोई भी पुलिसकर्मी आपकी बाइक या कार की चाबी आपसे बिना पूछे निकाल लेता है तो आपको उस पुलिसकर्मी के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार है.
जब ट्रैफिक पुलिस वाले आपका चालान काटते हैं तो उसके पास चालान बुक या ई-चालान मशीन होनी चाहिए. अगर पुलिसकर्मी के पास ये चीजें मौजूद नहीं तो आप इसे लेकर उनसे सवाल कर सकते हैं.
अगर आपने यातायात नियमों का उल्लंघन नहीं किया है तो पुलिसकर्मी आपका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द या जब्त नहीं कर सकता है.
इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस को आपकी गाड़ी की हवा निकालने का भी अधिकार नहीं है.
साथ ही पुलिसकर्मी आपको दस्तावेज दिखाने के लिए गाड़ी से उतरने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. अगर इस दौरान उनका व्यवहार सही नहीं होता है तो इस संबंध में आला अधिकारियों को भी शिकायत की जा सकती है.
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एफएम/जीकेटी