विपक्ष भाजपा के बहाने भले हो संघ पर हमलावर, फिर भी आरएसएस की इन बातों से होंगे अंजान !

नई दिल्ली, 27 सितंबर . एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा से ज्यादा संघ पर हमलावर रहे हैं और दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल भी अब भाजपा पर निशाना साधते-साधते संघ पर हमलावर हो गए हैं.

केजरीवाल भाजपा के खिलाफ राजनीति कर रहे हैं. लेकिन, सवाल संघ प्रमुख मोहन भागवत से पूछने लगे हैं. वह तो भाजपा के कामकाज को लेकर संघ और संघ प्रमुख मोहन भागवत से अपने कार्यक्रम के मंच से सवाल तक पूछने लगे हैं. राहुल गांधी कभी यूपीएससी की भर्ती में संघ को घसीट लाते हैं तो कभी अमेरिका में संघ की विचारधारा को संकुचित और एक पक्षीय बताते हैं.

आरएसएस स्वयं को सामाजिक संस्था बताता है. ऐसे में राहुल और केजरीवाल समेत तमाम विपक्षी नेता राजनीतिक तौर पर जब भाजपा के खिलाफ खड़े हैं तो वह भाजपा के साथ संघ पर हमला क्यों करते हैं. जबकि, संघ साफ कह चुका है कि उनका ना तो किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना है और ना ही उसे राजनीति करनी है. संघ एक सामाजिक संस्था है, जिसका उद्देश्य देश की संस्कृति, समृद्धि और विरासत को बचाकर रखने का है. इसके साथ ही देश के लोगों के लिए हर आपदा की स्थिति में संघ साथ खड़ा होने का दावा करता रहा है.

भाजपा के दो प्रधानमंत्री अभी तक बने हैं, उनमें से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले एकमात्र आरएसएस प्रचारक (विचारधारा के प्रचारक) हैं. ऐसे में कहीं उनका संघ से पहले का जुड़ाव तो कांग्रेस, आप और अन्य दलों को नहीं खलता है? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए पहले संघ को जानना जरूरी है.

वैसे आरएसएस को ‘सांप्रदायिक’, ‘भगवा ब्रिगेड’, ‘अल्पसंख्यकों से नफरत करने वाला संगठन’, ‘निकर वाला’, ‘संघी’ और ‘हिंदू राष्ट्रवादी’ इन्हीं बातों के साथ जोड़ा और प्रचारित किया जाता रहा है. लेकिन, संघ को समझने के लिए इससे ऊपर उठने की जरूरत महसूस होगी.

आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है, जिसके 5 मिलियन से अधिक सक्रिय स्वयंसेवक हैं. इसकी स्थापना 1925 में बंगाल के एक क्रांतिकारी समूह अनुशीलन समिति से प्रेरित चिकित्सक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. हेडगेवार मानते थे कि सच्ची स्वतंत्रता हिंसा से नहीं, बल्कि हिंदू समाज को एकजुट और मजबूत करने से आएगी.

इस संगठन का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 26 समर्पित स्वयंसेवकों द्वारा व्यापक विचार-विमर्श के बाद सावधानीपूर्वक चुना गया था. दो वैकल्पिक नामों-जारी पताका मंडल और भेदतोद्धारक मंडल पर भी विचार किया गया. अंततः, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर मुहर लगी. आरएसएस की सदस्यता बिना जाति की परवाह किए निशुल्क दी जाती रही.

आरएसएस की मूल वर्दी खाकी शॉर्ट्स, खाकी शर्ट, खाकी टोपी, चमड़े की बेल्ट, भूरे मोजे और बांस की छड़ी, जिसे डॉ. हेडगेवार द्वारा डिजाइन की गई थी. 2015 में, समय के साथ चलने के लिए खाकी शॉर्ट्स को गहरे भूरे रंग की पैंट से बदल दिया गया. भगवा ध्वज (भगवा ध्वज) को 1925 से सभी स्वयंसेवकों द्वारा प्रतीकात्मक “गुरु” या शिक्षक के रूप में सम्मानित किया जाता है. यहां संघ में सभी सलामी ध्वज को दी जाती है, किसी व्यक्ति को नहीं.

आरएसएस के लिए नरहरि नारायण भिड़े द्वारा रचित, आरएसएस का गान ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि’ मातृभूमि को प्रणाम है. यह ‘भारत माता की जय’ वाक्यांश के साथ समाप्त होता है. आरएसएस की स्थापना के बाद से उसके कुल छह प्रमुख रहे हैं, जिन्हें सरसंघचालक के नाम से जाना जाता है.

संघ के जितने सरसंघचालक हुए उनमें डॉ. हेडगेवार एक चिकित्सक थे, गुरुजी गोलवलकर कानून स्नातक थे, बालासाहेब देवरस वाणिज्य स्नातक थे, रज्जू भैया के पास कला में डिग्री थी, केएस. सुदर्शन एक दूरसंचार इंजीनियर थे, और मोहन भागवत के पास पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन में डिग्री थी. इनमें से रज्जू भैया सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सरसंघचालक थे. प्रयागराज में प्रोफेसर राजेंद्र सिंह विश्वविद्यालय का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है.

आरएसएस का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था. इसके लिए भी जान लें कि इसके संस्थापक डॉ. हेडगेवार को अंग्रेजों ने देशद्रोह के आरोप में दो बार जेल भेजा था. वह पहली बार 1921 में और फिर 1930 में जेल गए थे.

महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने 1942 में आरएसएस से अलग होकर हिंदू राष्ट्र दल नाम से अपना उग्रवादी संगठन बनाया था, जिसको लेकर बार-बार दोहराया जाता रहा है कि संघ के लोग बापू की हत्या में शामिल थे. जबकि, गांधीजी की हत्या की सरसंघचालक ‘गुरुजी’ गोलवलकर ने कड़ी निंदा की थी.

आरएसएस के सदस्यों ने 1949 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की स्थापना की, जो तब से पूरे भारत में 4,500 से अधिक शहरों और कस्बों में उपस्थिति के साथ दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन गया है. वहीं, आरएसएस स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त, 1954 को दादरा और नगर हवेली को पुर्तगाली नियंत्रण से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

आरएसएस अपनी शैक्षणिक शाखा विद्या भारती के जरिए पूरे भारत में 20,000 से अधिक स्कूल संचालित करती है. वहीं, आरएसएस से जुड़े संगठन सेवा इंटरनेशनल ने पूरे भारत में विभिन्न समुदायों की सेवा के उद्देश्य से लगभग 200 अस्पताल स्थापित किए हैं. संगठन लगभग 11,500 अनौपचारिक एकल-शिक्षक स्कूल चलाता है, जिन्हें एकल विद्यालय के नाम से जाना जाता है, जो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

1952 में आरएसएस ने वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की. आज, यह 52,000 गांवों में उपस्थिति के साथ सबसे बड़ा आदिवासी कल्याण संगठन है. भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) आरएसएस की श्रमिक शाखा है – इसकी स्थापना 1952 में हुई थी. 10 मिलियन से अधिक सदस्यों के साथ, यह भारत में सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन है. वहीं, सामाजिक शाखा, सेवा भारती के माध्यम से, संघ ने निराश्रित बच्चों की देखभाल के लिए 400 मातृ छाया केंद्र स्थापित किए हैं, जिसका लक्ष्य उन्हें स्वतंत्र जीवन में परिवर्तित करना है.

लगभग 3.5 मिलियन छात्र संघ परिवार से संबद्ध स्कूलों से अपनी शिक्षा प्राप्त करते हैं, और लगभग 3,00,000 जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है. आरएसएस सदस्यों द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी संस्था संस्कृत भारती ने 10 मिलियन लोगों को संस्कृत बोलने के लिए प्रशिक्षित किया है और 1,00,000 संस्कृत शिक्षकों का एक समूह बनाया है.

आरएसएस ने आपदा राहत कार्यों में सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है. चाहे वह ओडिशा में सुपर चक्रवात हो, भुज भूकंप, या चेन्नई बाढ़, आरएसएस के स्वयंसेवक हमेशा राहत शिविर स्थापित करने, अधिकारियों को रसद सहायता प्रदान करने और भोजन, पानी और चिकित्सा आपूर्ति वितरित करने वाले पहले व्यक्ति होते हैं.

आरएसएस ने राष्ट्रीय विमर्श को आकार देने के लिए कई नीति संस्थानों को जन्म देने में मदद की है. दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट, विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन और भारतीय शिक्षण मंडल ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय काम किया है, जिसका उपयोग राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर शासन में किया गया है. आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच का उद्देश्य अर्थशास्त्र में भारत-प्रथम दृष्टिकोण की वकालत करके आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है. मेक-इन-इंडिया पहल और वोकल-फॉर-लोकल युद्ध घोष स्वदेशी विचारधारा से उपजा है.

राष्ट्रीय सेविका समिति सबसे बड़ा महिला राष्ट्रीय संगठन है और आरएसएस की महिला शाखा के रूप में कार्य करती है. इसके 55,000 सदस्य हैं और इसका लक्ष्य हिंदुत्व ढांचे के भीतर महिलाओं का उत्थान और सशक्तीकरण करना है. समिति पूरे भारत में 30 छात्रावास चलाती है, जिनमें 6,000 लड़कियां रहती हैं.

राष्ट्रीय सिख संगत आरएसएस से संबद्ध एक संगठन है, जिसका उद्देश्य हिंदुओं और सिखों के बीच एकता को बढ़ावा देना है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की स्थापना 2002 में हिंदू-मुस्लिम विभाजन को पाटने और आरएसएस की विचारधारा के अनुरूप एक राष्ट्रवादी मुस्लिम पहचान पेश करने के लिए की गई थी. इसके साथ ही आरएसएस की योजना आने वाले वर्षों में पांच विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय स्थापित करने की है.

बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 116 एकड़ के परिसर, चाणक्य विश्वविद्यालय के साथ प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. विश्वविद्यालय अत्याधुनिक क्षेत्रों में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रम प्रदान करता है.

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