जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट ने 30 से ज्यादा विदेशी राजनयिकों, पत्रकारों को भारत की विदेश तथा सुरक्षा नीतियों के बारे में दिया प्रशिक्षण

सोनीपत (हरियाणा), 27 सितम्बर . ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट (जेआईआई) ने 31 विदेशी राजनयिकों, संवाददाताओं और उनके रक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारियों को ‘भारत की विदेश और सुरक्षा नीति की समझ’ विषय पर एक दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स के तीसरे संस्करण के तहत प्रशिक्षण प्रदान किया. इसका आयोजन नई दिल्ली में किया गया था जिसमें 20 दूतावासों, उच्चायोगों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नई एजेंसियों के राजनयिकों, कर्मचारियों एवं पत्रकारों ने हिस्सा लिया.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूरोपीय संघ, फिनलैंड, केन्या, लिथुआनिया, नॉर्वे, रसिया टुडे (आरटी), रोसिस्काया गजेटा, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, स्वीडन, ताइवान, तंजानिया, टोगो, ब्रिटेन, अमेरिका, जिम्बाब्वे और रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) का प्रतिनिधित्व करने वाले देश तथा संस्थान शामिल थे.

दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और शिक्षाविदों ने छह मॉड्यूलों में प्रशिक्षण प्रदान किया. उन्होंने तेजी से जटिल होते अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों और सुरक्षा रणनीतियों की सूक्ष्म जानकारी प्रदान की.

जेआईआई के प्रोफेसर और महानिदेशक श्रीराम चौलिया ने भारत की विदेश नीति के आवश्यक तत्वों का ओवरव्यू प्रदान करके चर्चा की शुरुआत की.

उन्होंने बताया की कि कैसे भारत की विदेश नीति पर इसकी समृद्ध रणनीतिक विरासत का प्रभाव है, जिसमें कौटिल्य की वास्तविक राजनीति से लेकर उपनिषदों के आदर्शवाद तक शामिल हैं. उन्होंने रणनीतिक स्वायत्तता, गुटनिरपेक्षता, मल्टी अलाइनमेंट, नेट सुरक्षा प्रदाता, प्रथम प्रतिक्रिया देने वाले, विश्व मित्र और विश्व गुरु जैसी मूल अवधारणाओं के पीछे की उद्देश्य और मंशा पर फोकस किया. उन्होंने दिखाया कि कैसे भारत दुनिया में एक ‘अग्रणी शक्ति’ के रूप में उभरने के लिए विदेशी संबंधों का अधिकतम लाभ उठा रहा है.

दिन के पहले भाग में भारतीय विदेश मंत्रालय की विस्तृत संगठनात्मक संरचना, कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं पर भी एक सत्र आयोजित किया गया. जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में डिप्लोमैटिक प्रैक्टिस के प्रोफेसर और राजनयिक संजय भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों द्वारा विदेश मंत्रालय की भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और प्रभागों पर विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देने के लिए सैद्धांतिक ज्ञान से साथ अपनी व्यावहारिक अंतर्दृष्टि का समावेश किया.

जेआईआई के प्रोफेसर और निदेशक हिंडोल सेनगुप्ता ने भारत के बदलते विश्व दृष्टिकोण पर व्याख्यान दिया जिसने स्वतंत्रता के बाद से इसकी विदेश नीति को बारीकी से आकार दिया है. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक विभिन्न प्रधानमंत्रियों के तहत दुनिया के लिए देश के बदलते दृष्टिकोण का एक संतुलित विवरण पेश किया जिसमें उनमें से प्रत्येक के तहत प्रमुख विदेशी पहलों की क्षमता और सफलता पर प्रकाश डाला गया.

इसके बाद जेआईआई के प्रोफेसर और वरिष्ठ फेलो राजदूत मोहन कुमार ने भारत की आर्थिक कूटनीति के अनूठे पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिसमें व्यापार वार्ता और निवेश रणनीतियां शामिल हैं.

उन्होंने बहुपक्षीय मंचों में देश की भागीदारी और इसकी कनेक्टिविटी परियोजनाओं में मजबूत क्षेत्रीय घटकों पर जोर दिया. सत्र के अंत में प्रशिक्षण में शामिल एक विदेशी राजनयिक ने अपनी टिप्पणी में कहा, “भारत भविष्य है. अफ्रीका भारत को बेहतर वैश्विक व्यवस्था की आशा के रूप में देखता है.”

भारत की सुरक्षा संरचना पाठ्यक्रम के दूसरे भाग का मुख्य फोकस थी. मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो स्वस्ति राव ने पश्चिमी शक्तियों के साथ देश की रक्षा साझेदारी के बारे में बताया. उन्होंने यूरोप और अमेरिका के साथ प्रमुख समझौतों, सहयोगी तकनीकी प्रगति और संयुक्त सैन्य अभ्यासों के बारे में बताया. भारत की रक्षा कूटनीति में हथियारों और बदलते पैटर्न में रणनीतिक प्रेरणाओं और विशेषज्ञता के उनके गहन विश्लेषण से विदेशी प्रतिभागियों को भारत की महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारियों के बारे में और अधिक जानकारी मिली.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देश की उभरती भूमिका को जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की एसोसिएट प्रोफेसर पूजा भट्ट ने कवर किया. मानचित्रों, उपग्रह चित्रों और फ्लोचार्ट की मदद से उन्होंने क्षेत्रीय संपर्क, समुद्री सुरक्षा और आर्थिक सहयोग जैसी भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया.

दिन का समापन एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) के विशेष संबोधन के साथ हुआ. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा में भारतीय सेना के महत्वपूर्ण योगदान और मुख्य लोकाचार और सिद्धांतों के बारे में बात की, जो देश के सशस्त्र बलों को मुख्य बाहरी विरोधियों से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए दिशा दिखाते रहे हैं.

इस एक दिवसीय कार्यक्रम के बारे में जेआईआई के अध्यक्ष और जेजीयू के कुलपति सी. राज कुमार ने बताया, “भारत वैश्विक मामलों में अधिक प्रमुख भूमिका निभाने लगा है. इसलिए इस सर्टिफिकेट कोर्स जैसी पहल भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच गहरी समझ को बढ़ावा दे सकती है. जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट का उद्देश्य व्यापक विशेषज्ञ-नेतृत्व वाले प्रशिक्षण प्रदान करना है जो भारत की असाधारण उपलब्धियों और क्षमता के बारे में अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता बढ़ाते हैं और समर्थन का विस्तार करते हैं.”

राज कुमार ने कहा, “हमारा मिशन ऐसे विचारोत्तेजक और शिक्षाप्रद पाठ्यक्रमों के माध्यम से विश्व में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को बढ़ावा देना है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आंखें खुल सकें और भारत के लिए वैश्विक स्तर पर और अधिक मित्र बन सकें.”

एकेजे/