इस्लामाबाद, 27 सितंबर . सोमवार को स्वात जिले में दर्जन भर विदेशी राजदूतों के काफिले पर टारगेटेड टेरर अटैक पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के बीच विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है. दोनों ने आश्चर्यजनक रूप से दावा किया कि उन्हें क्षेत्र में विदेशी राजनयिकों के यात्रा के बारे में जानकारी नहीं थी.
बता दें कई देशों के राजनयिकों को ले जा रहे काफिले को 23 सितंबर को स्वात जिले में मालम जब्बा रोड पर सड़क किनारे लगाए गए बम से निशाना बनाया गया.
इस घटना में एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई थी. काफिले में रूस, पुर्तगाल, ईरान, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, रवांडा, जिम्बाब्वे, तुर्कमेनिस्तान, वियतनाम, बोस्निया और हर्जेगोविना सहित अन्य देशों के राजनयिक शामिल थे.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि विदेश विभाग को कई विदेशी राजनयिकों की पर्यटन स्थल मालम जब्बा की यात्रा योजना के बारे में जानकारी नहीं थी.
पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, “यह यात्रा इस्लामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित की गई थी, न कि विदेश मंत्रालय या किसी अन्य सरकारी संस्था द्वारा. हमने संबंधित व्यक्तियों द्वारा की गई चूकों को गंभीरता से लिया है, जिसमें इस तरह की हाई प्रोफाइल यात्रा के बारे में मंत्रालय को सूचित न करना भी शामिल है.”
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का यह बयान बेहद हैरान करने वाला है. दरअसल विदेशी राजनयिकों को उचित प्रोटोकॉल और सुरक्षा व्यवस्था के लिए देश के भीतर अपने ट्रैवल प्लान के बारे में विदेश कार्यालय को सूचित करना जरूरी है.
बलूच ने दावा किया कि विदेश कार्यालय से कुछ राजदूतों ने संपर्क किया था जिसकी जानकारी केपी सरकार को लिखित रूप में दी गई थी. उन्होंने कहा कि उनके पास इसके दस्तावेजी सबूत भी हैं.
प्रवक्ता ने कहा, “हमने आंतरिक जांच की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि जहां तक विदेश मंत्रालय का सवाल है, सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया था. इसमें उन राजदूतों की ट्रेवल प्लान के बारे में जानकारी शामिल है, जिन्होंने अपनी यात्रा के बारे में व्यक्तिगत रूप से विदेश मंत्रालय से संपर्क किया था.”
प्रवक्ता ने कहा, “यह तथ्य कि एक विशेष कार्यक्रम के लिए इतने राजदूत एक साथ यात्रा करेंगे, साझा नहीं किया गया. हम इस बात पर चर्चा और आंतरिक विचार-विमर्श की प्रक्रिया में हैं कि जो हुआ है उसे कैसे सुधारा जाए और भविष्य के लिए इसे कैसे ठीक किया जाए.”
वहीं पीटीआई नेता अली अमीन गंडापुर के नेतृत्व वाली केपी सरकार ने विदेश कार्यालय के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसे क्षेत्र में विदेशी राजनयिकों की यात्रा के बारे में अंधेरे में रखा गया.
हालांकि सभी इस बात पर सहमत हैं कि यह अधिकारियों की ओर से एक बड़ी सुरक्षा चूक थी क्योंकि कम से कम 12 राजनयिकों की जान जोखिम में थी.
सुरक्षा बल घटना की जांच कर रहे हैं और सबूत जुटा रहे हैं. केपी सरकार स्वात घटना में सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.
विशेषज्ञों का कहना है कि स्वात हमले ने शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार और पीटीआई की प्रांतीय सरकार के बीच मतभेदों को उजागर किया है.
खैबर पख्तूनख्वा आतंकवाद और अशांति का केंद्र रहा है. स्वात जिला उन कई क्षेत्रों में से एक है जिसका इस्तेमाल आतंकवादी ग्रुप तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने अपनी गतिविधियों के लिए किया है.
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