ओटावा, 27 सितंबर . कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने लिबरल पार्टी के सांसद सुख धालीवाल की एक नई याचिका की तीखी आसलोचना की है. यह याचिका 23 जून 1985 को एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट से संबंधित है. इस घटना में 329 लोग मारे गए थे. यह 9/11 हमलों से पहले एविएशन टेरर के इतिहास का सबसे घातक आतंकी कृत्य था.
धालीवाल की याचिका कनाडाई संसद के पोर्टल पर उपलब्ध है. इसमें कनाडा सरकार से इस मामले की नए सिरे से जांच की मांग की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इस अपराध में कोई विदेशी खुफिया एजेंसी शामिल थी या नहीं.
याचिका में कहा गया है कि कनाडा में सिख व्यापक रूप से मानते हैं कि इस बम विस्फोट के पीछे एक विदेशी खुफिया एजेंसी थी ताकि सिखों की राजनीतिक सक्रियता को बदनाम किया जा सके और भारत में मानवाधिकारों के लिए उनकी वकालत की मुहिम को कमजोर बनाया जा सके.
याचिका की कड़ी आलोचना करते हुए भारतीय मूल के आर्य ने शुक्रवार सुबह (भारतीय समयानुसार) संसद में एक बयान दिया. उन्होंने इसे खालिस्तानी चरमपंथियों की ओर से नई कॉन्सपिरेसी थ्योरी को गढ़ने की कोशिश बताया.
आर्य ने अपने बयान में कहा, “39 साल पहले एयर इंडिया की फ्लाइट 182 को कनाडा के खालिस्तान चरमपंथियों ने बम लगाकर उड़ा दिया था. इसमें 329 लोग मारे गए थे और यह कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ी सामूहिक हत्या थी. आज भी, इस आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार विचारधारा कनाडा में कुछ लोगों के बीच जीवित है.”
आर्य ने कहा, “कनाडा की दो पब्लिक इन्क्वारी में पाया गया कि एयर इंडिया के प्लेन में बम विस्फोट के लिए खालिस्तानी चरमपंथी जिम्मेदार हैं. अब संसद के पोर्टल पर एक याचिका है जिसमें खालिस्तानी चरमपंथियों की कॉन्सापिरेसी थ्योरी को बढ़ावा देते हुए नई जांच की मांग की गई है.”
कनाडाई सांसद ने अपने भाषण में बाल गुप्ता के बयान को दोहराया, “यह बहुत निराशाजनक है. यह पुराने घावों को फिर से हरा कर देता है. यह सब बकवास है. यह आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रचार और समर्थन हासिल करने की कोशिश है.” गुप्ता ने यह बायन ग्लोब एंड मेल को दिया था. उनकी पत्नी रमा इस आतंकी हमले में मारी गई थीं.
सांसद चंद्र आर्य, कनाडा में खालिस्तानी तत्वों को शरण देने के लिए जस्टिन ट्रूडो सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं.
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