आरआरटीएस नमो भारत के लिए एनसीआरटीसी ने बर्लिन में जीते दो पुरस्कार

नई दिल्ली, 27 सितंबर . एनसीआरटीसी को 25 सितंबर को बर्लिन (जर्मनी) में आयोजित यूआईसी सस्टेनेबिलिटी इम्पैक्ट अवार्ड्स में बेहतरीन कनेक्टिविटी के लिए सर्वश्रेष्ठ ट्रांजिट पुरस्कार और वैश्विक प्रविष्टियों के बीच ओवरऑल विनर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. सस्टेनेबल डेवलपमेंट फाउंडेशन के सहयोग से इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवे (यूआईसी) द्वारा इस पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया था.

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने परिवहन प्रौद्योगिकी के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले, इनोट्रांस 2024, में इन पुरस्कारों को प्राप्त किया. ये पुरस्कार यूआईसी के 2030 के “बेहतर भविष्य का डिजाइन” विजन और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप हैं.

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने कहा, “ये पुरस्कार एनसीआरटीसी के व्यापक मल्टी मॉडल एकीकरण के अभिनव दृष्टिकोण का प्रमाण हैं, जो आरआरटीएस स्टेशनों को मौजूदा सार्वजनिक परिवहन साधनों जैसे मेट्रो, बसों और रेलवे स्टेशनों के साथ-साथ विभिन्न फर्स्ट और लास्ट माइल कनेक्टिविटी विकल्पों से जोड़ता है. इसके साथ ही एलटीई पर यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) लेवल 2 के हाइब्रिड लेवल 3 सिग्नलिंग प्रणाली आने वाले दिनों में आरआरटीएस कॉरिडोर में इस्तेमाल होगी.

यह प्रतियोगिता इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवे (यूआईसी) द्वारा विकास फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की जाती है. इसका उद्देश्य पूरे विश्व में रेलवे क्षेत्र में की गई शानदार उपलब्धियों को सम्मानित करना और प्रदर्शित करना है. इस वर्ष की प्रतियोगिता में 15 देशों से 17 फाइनलिस्ट शामिल थे, जिनमें कोरिया रेलरोड कॉर्पोरेशन, ईस्ट जापान रेलवे कंपनी, डीबी कार्गो ग्रुप (जर्मनी), एमट्रैक नेशनल रेल रोड पैसेंजर कॉर्पोरेशन (संयुक्त राज्य अमेरिका), एसएनसीबी असिस्ट-नेशनल रेलवे कंपनी ऑफ बेल्जियम, रेलवे फ्रॉम इटली सहित कई प्रतिष्ठित वैश्विक रेलवे निगमों ने हिस्सा लिया.

आरआरटीएस नौ सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) में सहयोग करता है, जिनमे जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दें हैं. इस परियोजना से निजी वाहनों से सार्वजनिक परिवहन की ओर के बदलाव को प्रोत्साहित करके, दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से सालाना 250,000 टन वाहनों से निकलने वाले धुएं के कम होने की उम्मीद है, जिससे पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद मिलेगी.

एनसीआरटीसी द्वारा आरआरटीएस परियोजना में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करते हुए सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कटौती के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है. एनसीआरटीसी, राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत अगले पांच वर्षों में आरआरटीएस स्टेशनों की छतों और डिपो पर 11 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की योजना पर कार्य कर रहा है, जिससे प्रणाली की सस्टेनेबिलिटी और भी बढ़ेगी.

एनसीआरटीसी ने ट्रांजिट हब के आसपास उच्च घनत्व और मिश्रित उपयोग वाले शहरी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए भूमि उपयोग को अनुकूलित करने हेतु ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) रणनीतियों को भी अपनाया है. इसके माध्यम से दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ में नगर निकायों के सहयोग से सतत शहरों और समुदायों के विकास में योगदान दिया जा रहा है.

एनसीआरटीसी ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हुए ट्रेन में समर्पित महिला कोच और कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया है. नमो भारत ट्रेनों के संचालन में शामिल स्टाफ में 50 प्रतिशत से अधिक ट्रेन ऑपरेटर और स्टेशन नियंत्रक महिलाएं हैं.

आरआरटीएस परियोजना को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित किया जा रहा है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाता है. दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर भविष्य में दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत जैसे अन्य कॉरिडोर के साथ जुड़ेगा.

पीकेटी/एफजेड