अपनी पहचान छिपाने को कोई धर्म नहीं कहता : प्रमोद कृष्णम

गाजियाबाद, 26 सितंबर . पूर्व कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने गुरुवार को से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश में फूड वेंडर्स की दुकानों के बाहर आईडेंटिफिकेशन प्रकरण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी.

दरअसल, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में ढाबा, रेस्टोरेंट, रेहड़ी और फास्ट फूड कॉर्नर चलाने वालों को अपना नेमप्लेट लगाने के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य के आदेश के बाद यहां पर सियासत तेज हो गई है और कांग्रेस पार्टी के आलाकमान, विक्रमादित्य के इस फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं. इसको लेकर प्रमोद कृष्णम ने कहा कि अपनी पहचान को छिपाना चाहिए, कोई धर्म और धर्म ग्रंथ ये नहीं कहता कि हम किसी को धोखा दें और अपना नाम बदलकर अपना काम करें.

उन्होंने आगे कहा कि डंके की चोट पर हमें इस देश में अपना काम करने की आजादी है. तो ऐसे में अगर विक्रमादित्य भारत के कानून और जनता के हित को ध्यान में रखकर कोई फैसला लेते हैं, तो उसमें दिक्कत क्या है?

प्रमोद कृष्णम ने विक्रमादित्य को लेकर आगे कहा कि वो कोई छोटे नेता नहीं है. हिमाचल प्रदेश की जनता ने राजा वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि के रूप में कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका दिया. ऐसे में हिमाचल की सरकार राजा वीरभद्र सिंह के नाम पर बनी है. विक्रमादित्य वीरभद्र सिंह के विरासत के मालिक हैं, ऐसे में उनको मुख्यमंत्री होना चाहिए. लेकिन राहुल गांधी के आस-पास जो लोग हैं, उन्होंने विक्रमादित्य सिंह के साथ धोखा किया.

पूर्व कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि जब अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ था, तो विक्रमादित्य उसमें भी शामिल हुए थे. उस समय कांग्रेस से जुड़े दो लोग राम मंदिर कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे, एक मैं और दूसरे विक्रमादित्य. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के कुछ लोगों को विक्रमादित्य इसलिए चुभते हैं, क्योंकि वो सनातन और राष्ट्र की बात करते हैं. मुझे इस बात का डर है कि कहीं उनको अपना मंत्री पद ना गंवाना पड़ जाए.

एससीएच/जीकेटी