यूपीआईटीएस : यूपी में बना ड्रोन, रडार में नहीं होता कैप्चर

नोएडा, 26 सितंबर . उत्तर प्रदेश के इंटरनेशनल ट्रेड शो में नोएडा की रेपही कंपनी ने स्पेशल ड्रोन प्रदर्शित किया, जो अपने वजन से दोगुना वजन लेकर 20 किमी तक जाकर वापस आ सकता है. इस ड्रोन को भारत सरकार ने मान्यता दी है. इस ड्रोन का प्रयोग डिजास्टर और दुर्गम पहाड़ी रास्तों, बॉर्डर एरिया में किया जाता है. इनका प्रयोग कई एजेंसी कर रही है.

इसी तरह सर्विलांस ड्रोन भी है. यह बैटरी ऑपरेटड नहीं होकर इंजन ऑपरेटड है. खास बात है यह मेड इन यूपी है. जिसे ट्रेड में दिखाया गया. नोएडा में बना एमआर 10 आईसी ड्रोन एक सर्विलांस ड्रोन है. जिसे वर्तमान में आर्म फोर्स यूज कर रही है. इसे रडार पर आसानी से देखा नहीं जा सकता.

कंपनी के अधिकारी ने बताया कि ड्रोन बैटरी ऑपरेटड न होकर फ्यूल बेस्ड है. यह एक बार फ्यूल भरने पर 100 किमी तक जा सकता है. 1,000 मीटर की ऊंचाई से अपने टारगेट को देख सकता है. उसकी पूरी लोकेशन ट्रैक करके भेज सकता है. 3 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है. यह पूरा आईसी बेस्ड है. इसे दो तरह से ऑपरेट किया जा सकता है. पहला मैन्युअल और दूसरा ऑटोमैटिक.

उन्होंने बताया कि इसमें सिर्फ टारगेट और लोकेशन डाला जाता है. इसके बाद यह अपने टारगेट पर पहुंचकर सर्विलांस कर वापस आ सकता है. यह इसका सबसे खास फीचर है. इसकी शेप ऐसी दी गई है यह 1,000 मीटर की ऊंचाई पर किसी चिड़िया की तरह लगता है. इसलिए रडार में शो नहीं होता.

कंपनी के अधिकारी ने बताया कि उनके पास आठ प्रकार के ड्रोन हैं. लेकिन, सबसे खास “एमआर-20 ” है. इसका प्रयोग अभी किया जा रहा है. खास तौर से उन क्षेत्रों में जहां पहुंचना आसान नहीं है. आपदा के समय इसका प्रयोग फूड, मेडिसन और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. इसे और मोडिफाइ किया गया है. वहीं, एक ड्रोन एडवांस टेक्नोलॉजी का है. यह 20 किमी तक 40 किग्रा वजन लेकर उड़ सकता है और आराम से वापस आ सकता है. यह रिमोट ऑपरेटड है, जिसे एक व्यक्ति हैंडल कर सकता है.

पीकेटी/एबीएम