नई दिल्ली, 26 सितंबर . विश्व गर्भनिरोधक दिवस पर गुरुवार को विशेषज्ञों ने कहा कि देश की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रजनन योग्य आयु वर्ग में आती है. इसलिए, गर्भनिरोध के विकल्पों में निवेश की आवश्यकता है, विशेषकर बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए.
विश्व गर्भनिरोधक दिवस हर साल 26 सितंबर को परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. इस साल का थीम “ए च्वाइस फॉर ऑल, फ्रीडम टू प्लान, पावर ऑफ चॉइस” है.
गर्भधारण के बीच पर्याप्त अंतराल रखने से मां और बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है. इससे अनचाहे गर्भधारण में कमी आएगी. इसके साथ ही परिवारों के लिए अधिक आर्थिक स्थिरता आएगी.
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा ने को बताया, “देश की युवा आबादी में से 65 प्रतिशत की आयु 35 वर्ष से कम है, इसलिए गर्भनिरोधक विकल्पों, विशेषकर गर्भनिरोध के तरीकों में तत्काल निवेश की आवश्यकता है.”
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 5 (2019-21) के अनुसार, गर्भ निरोधक की कमी का चार प्रतिशत हिस्सा जन्म के बीच अंतर रखने में काम आ सकता है.
मुतरेजा ने कहा, ”इन विकल्पों तक पहुंच का बढ़ाने से स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में कमी आएगी और महिलाओं को काम करने का अवसर मिलने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.”
उन्होंने परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार का आह्वान किया.
मुतरेजा ने कहा, “नीतियों में सम्मानजनक, उच्च-गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि जो महिलाएं सम्मानित महसूस करती हैं, उनके गर्भनिरोधक का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और स्वस्थ परिवार नियोजन प्रथाओं को अपनाने की अधिक संभावना है.”
साल 2023 में भारत ने अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में दो नए दीर्घकालिक प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक तरीकों को शामिल किया है. ये हैं – सबडर्मल इम्प्लांट और सबक्यूटेनियस अंतरा इंजेक्शन.
हालांकि यह 30 साल की देरी के बाद आया है, जिसके दौरान भारतीय महिलाएं महत्वपूर्ण गर्भनिरोधक विकल्पों से वंचित थीं. साथ ही इसे दुनिया भर के कई देशों ने अपनाया, जिनमें हमारे पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी शामिल हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में कहा कि भारत में आधुनिक गर्भनिरोधकों की स्वीकृति 56 प्रतिशत से अधिक हो गई है.
देश का राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम वर्तमान में कंडोम, अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण, गोलियां, इंजेक्शन गर्भनिरोधक आदि सहित विभिन्न प्रकार के प्रतिवर्ती आधुनिक गर्भनिरोधक प्रदान करता है.
नई दिल्ली स्थित क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. नेहा खंडेलवाल ने को बताया, “गर्भनिरोधक एक सशक्तिकरण उपकरण है, लेकिन प्रजनन स्वास्थ्य की वास्तविकताओं के साथ इसे संतुलित करना महत्वपूर्ण है.”
इस बीच मुतरेजा ने परिवार नियोजन कार्यक्रमों में पुरुषों की सक्रिय भागीदारी का भी आग्रह किया.
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, “परिवार नियोजन में पुरुषों को समान भागीदार के रूप में शामिल करके, हम देश में सार्थक बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग खोल सकते हैं.”
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एमकेएस/