डॉ.मनमोहन सिंह : मिर्जा गालिब के फैन, उदारीकरण के जनक, ऐसा रहा सियासी करियर

नई दिल्ली, 25 सितंबर . 2004 में भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को भारत में बड़े आर्थिक सुधार का जनक माना जाता है. उन्होंने 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था. डॉ. मनमोहन सिंह सिर्फ देश के प्रधानमंत्री ही नहीं रहे हैं, बल्कि कई अहम पदों पर भी काबिज रहे हैं.

भले ही मनमोहन सिंह शांत स्वभाव के हैं और कम बोलते हैं. आज भी वो किस्सा लोग याद करते हैं, जब संसद में भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज और उनके बीच शेरो-शायरी हुई थी. दोनों नेताओं ने शेरो-शायरी के जरिए एक-दूसरे को जवाब दिया था.

संसद में चर्चा के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए मिर्जा गालिब का मशहूर शेर पढ़ा था, ‘हमको उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है.’

हालांकि, इसके जवाब में सुषमा स्वराज ने भी उन्हें शायरी के जरिए जवाब दिया था.

पूर्व पीएम राजीव गांधी की सरकार में वह 1985 से 1987 तक भारतीय योजना आयोग के प्रमुख के पद पर भी रहे. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम किया. इसके अलावा वह 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर भी रहे. इस दौरान उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई सुधार किए. जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.

साल 1987 से 1990 तक डॉ. मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण आयोग के महासचिव के तौर पर जिम्मा संभाला. मनमोहन सिंह साल 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए. वह साल 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर उच्च सदन के सदस्य रहे. साल 1998 से 2004 तक जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी, तब मनमोहन सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे.

साल 1999 में वह दक्षिणी दिल्ली से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन वह जीत नहीं सके. दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस ने 2009 का लोकसभा चुनाव मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लड़ा था. मगर, वह खुद चुनावी दंगल में नहीं उतरे थे. राज्यसभा का सदस्य रहते हुए प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम दर्ज है.

डॉ. मनमोहन सिंह ने देश में हुए आर्थिक सुधारों में अहम रोल निभाया था. वह साल 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री भी रहे. उन्होंने बजट के दौरान उदारीकरण, निजीकरण और वैश्विकरण से जुड़े कई ऐलान किए थे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिली.

मनमोहन सिंह को साल 1987 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया. इसके अलावा उन्हें 1995 में जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड ऑफ द इंडियन साइंस कांग्रेस,1993 में वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड, 1956 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार जैसे कई सम्मान से सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही उन्हें कैम्ब्रिज और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी सहित कई विश्वविद्यालयों की ओर से मानद उपाधियां दी गई.

26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी. फिल भी किया.

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