नई दिल्ली, 25 सितंबर . ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय में बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्चुअल रियलिटी (वीआर) मॉडल पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों को श्वसन और कार्डियो मेटाबोलिक सहित कई बीमारियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए इस शोध का लक्ष्य सड़कों, टायरों से निकलने वाले धूलकण के संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना है.
उन्होंने तर्क दिया कि इमर्सिव वीआर जनता, नीति निर्माताओं और शहर योजनाकारों को आसान सुलभ मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं.
रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध पत्र में विस्तृत कम्प्यूटेशनल द्रव गतिकी मॉडल का उपयोग करके ऐसे कणों को देखा गया है, जो आमतौर पर नंगी आंखों से दिखाई नहीं देते.
वीआर मॉडल का परीक्षण बर्मिंघम शहर में आम जनता के साथ किया गया. परीक्षण में देखा गया कि वाहनों के ब्रेक और टायर के घिसाव से पीएम 2.5 (पीएम 2.5 वायुमंडल में मौजूद कण पदार्थ (पीएम) का एक रूप है) उत्पन्न होता है.
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के प्रधान अन्वेषक डॉ. जेसन स्टैफोर्ड ने कहा, “वायु गुणवत्ता समाज के स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इलेक्ट्रिक वाहन संक्रमण के बावजूद, ब्रेक, टायर और सड़कों से निकलने वाले छोटे कणों के माध्यम से हानिकारक उत्सर्जन जारी रहता है, जो हम सांस लेते हैं.”
इन मॉडलों ने लोगों को प्रदूषण के उन कणों को देखने में मदद की है जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता था. साथ ही, अब इससे बीमारियों से बचने में भी मदद मिलेगी.
स्टैफोर्ड ने कहा, “कम्प्यूटेशनल मॉडल हमें प्रदूषण के मार्गों को समझने और लोगों की दैनिक यात्राओं में उन महत्वपूर्ण क्षणों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, जहां खतरा सबसे अधिक है.”
शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि किस प्रकार आभासी वास्तविकता के क्रियान्वयन से स्वच्छ वायु को प्रोत्साहित करने के लिए नगर और शहर की योजना पर पुनर्विचार हो सकता है.
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आरके/जीकेटी