लखनऊ, 24 सितंबर . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को नवगठित ‘राज्य महिला आयोग’ की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों सहित सभी पदाधिकारियों के साथ विशेष बैठक की. इस दौरान उन्होंने आयोग के गठन के उद्देश्यों, दायित्वों, अधिकारों पर भी चर्चा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री योगी ने बैठक में कहा कि देश में अतिशीघ्र ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ प्रभावी होने जा रहा है. इसके माध्यम से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की कुल सीटों में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी. प्रदेश की महिलाओं को इसका वास्तविक लाभ मिल सके, इसके लिए उनमें नेतृत्व क्षमता विकास के लिए विशेष प्रयास किया जाना आवश्यक है. महिला हितों के संरक्षण तथा उनके कल्याण में राज्य महिला आयोग की बड़ी भूमिका है. राज्य महिला आयोग इसके लिए विस्तृत कार्यक्रम तैयार करे.
सीएम योगी ने कहा महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा और उनके विकास के लिए अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार अनेक प्रयास कर रही है. सरकार महिलाओं के हित में अनेक योजनाओं का संचालन कर रही है. महिलाओं की सहायता के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं. इनके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. आयोग के पदाधिकारियों को जनपदीय प्रवास के दौरान इसके बारे में स्थानीय महिलाओं से संवाद करना चाहिए. वहां से प्राप्त फीडबैक से मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराया जाना अपेक्षित है. अगर किसी को योजना का लाभ नहीं मिल सका है, तो उनके लिए आयोग द्वारा संस्तुति भी की जानी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भिक्षावृत्ति की अवैध गतिविधियों से फंसे बच्चों को मुक्त कराकर उनकी पढ़ाई, आवास आदि की व्यवस्था कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है. राज्य महिला आयोग इस कार्य में प्रभावी योगदान करे. भारत सरकार के सहयोग से वृंदावन में निराश्रित महिलाओं के लिए ‘कृष्णा कुटीर’ की स्थापना की गई है. निराश्रित महिला केंद्र भी संचालित हैं. यहां निवासरत महिलाओं में बहुत सी शिक्षित हैं. कुछ में हस्तशिल्प का हुनर है. कुछ अन्य किसी विधा की जानकार हैं. इनकी प्रतिभा, क्षमता का सही उपयोग हो, इसके लिए आयोग को इन महिलाओं से संवाद कर अपने सुझाव देने चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि आयोग की पदाधिकारियों द्वारा महिला संवासिनी गृहों, अटल आवासीय विद्यालयों, कस्तूरबा विद्यालयों, महिला छात्रावास, आश्रम पद्धति के विद्यालयों का भी निरीक्षण किया जाना चाहिए.
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एससीएच/एबीएम