श्रीलंका को ‘नए युग’ में ले जाने जिम्मेदारी करता हूं स्वीकार: राष्ट्रपति दिसानायके

कोलंबो, 23 सितंबर . अनुरा कुमार दिसानायके ने सोमवार को श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उन्होंने देश में “पुनर्जागरण के एक नए युग” की शुरुआत करने का संकल्प लिया.

दिसानायके मार्क्सवादी विचारधारा वाली जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी के नेता हैं. यह पहली बार है जब एक वामपंथी नेता देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान हुआ है.

दिसानायके ने एक्स पर लिखा, “आज सुबह (23 तारीख को), मैंने राष्ट्रपति सचिवालय में मुख्य न्यायाधीश जयंता जयसूर्या की उपस्थिति में श्रीलंका के लोकतांत्रिक समाजवादी गणराज्य के 9वें कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.”

देश के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए, दिसानायके ने लिखा, “मैं देश में ‘पुनर्जागरण के एक नए युग’ को शुरू करने की जिम्मेदारी को पूरा करने का वादा करता हूं. मैं इसमें आपके सामूहिक योगदान की आशा करता हूं.”

दिसानायके ने नागरिकों को आश्वासन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी लगन से काम करेंगे.

शपथ ग्रहण समारोह कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में आयोजित हुआ.

शपथ ग्रहण समारोह के बाद, दिसानायके ने ‘राजनेताओं में जनता का विश्वास बहाल करने’ का संकल्प लिया. उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा, “मैं कोई जादूगर नहीं हूं, बल्कि कुछ क्षमताओं और अक्षमताओं वाला एक साधारण नागरिक हूँ. मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता अपनी क्षमताओं को बढ़ाना, अपने ज्ञान का विस्तार करना और देश के लिए सर्वोत्तम फैसले लेना है.”

श्रीलंका के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती की गई. यह तब हुआ जब दिसानायके और समागी जन संधानया के उम्मीदवार सजित प्रेमदासा, जरुरी वोट प्रतिशत हासिल करने में नाकाम रहे. इसके बाद दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती करने की जरुरत पड़ी.

रविवार शाम 7 बजे चुनाव आयोग द्वारा अंतिम परिणाम घोषित किए गए. आयोग के अनुसार, दिसानायके ने 42.31 प्रतिशत वोटों के साथ राष्ट्रपति पद जीता, जबकि प्रेमदासा दूसरे स्थान पर रहे और मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जो पहले दौर के बाद बाहर हो गए थे, तीसरे स्थान पर रहे.

एमके