इटावा, 22 सितंबर . असम और नागालैंड के पूर्व राज्यपाल जगदीश मुखी रविवार को उत्तर प्रदेश के इटावा पहुंचे. यहां पर इन्होंने आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
जगदीश मुखी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, अभी सारी बातें सामने आ रही हैं, लेकिन सिद्ध अभी तक कुछ नहीं हुआ है. अगर ये बात सत्य निकलती है तो वास्तव में हिंदुओं की भावनाओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया गया है. लेकिन अभी वास्तविकता देखना बाकी है. हालांकि ये बात सही है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने घी को प्राइवेट डेयरी से लेना शुरू किया था, जो पहले सरकारी डेयरी से ली जाती थी. उन्होंने ऐसा क्यों किया, इस पर प्रश्न चिन्ह है.
तिरुपति का मामला सामने आने के बाद क्या अन्य मंदिर के प्रसादों की जांच होनी चाहिए? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर देश के किसी एक कोने में ये घटना हुई है और फिर देश के अन्य मंदिर की जांच करने लगे, तो ये उचित नहीं है.
बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी से बने घी के इस्तेमाल की बात सामने आई थी. जिसके बाद से भाजपा और संत समाज के लोगों का भारी विरोध देखने को मिल रहा है. इसको लेकर आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने राष्ट्रीय स्तर पर सनातन रक्षा बोर्ड बनाने की भी मांग की थी. जिसको लेकर लगातार सियासत जारी है.
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया है, इस पर पूर्व राज्यपाल ने कहा, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना अरविंद केजरीवाल की मजबूरी थी. सुप्रीम कोर्ट से जो बेल मिली है, वो ऐसी शर्तों पर मिली है कि केजरीवाल सीएम ऑफिस जा नहीं सकते, फाइल पर साइन नहीं कर सकते, कोई निर्णय ले नहीं सकते और कैबिनेट की मीटिंग बुला नहीं सकते. ऐसे में उन्होंने मजबूरी में पद से इस्तीफा दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि, अरविंद केजरीवाल ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद का त्याग किया है. लेकिन पद से इस्तीफा देना उनकी मजबूरी थी. जनता इसको समझ चुकी है.
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एससीएच/जीकेटी