गोरखपुर, 21 सितंबर . आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल को लेकर साधु-संतों ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि ऐसे लोगों को जीने का हक नहीं है और उन्हें फांसी की सजा देनी चाहिए.
जगतगुरु रामदिनेशाचार्य ने कहा कि ये एक जघन्य अपराध है. हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे लोगों को फांसी की सजा देनी चाहिए. जब कोई श्रद्धा और सद्भाव लेकर के विश्व के सबसे बड़े मंदिर में जाता है, तब वहां वह प्रसाद के रूप में लड्डू प्राप्त करता है. मगर आस्था के केंद्र में फिश ऑयल और बीफ का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह एक जघन्य अपराध है. ऐसा करने वालों को धरती पर क्या नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी.
स्वामी वासुदेवाचार्य ने कहा, “मुगलों के समय में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में धर्म भ्रष्ट करने के लिए गाय का मांस डाल देते थे. इसी तरह जगन मोहन रेड्डी भी ईसाई मानसिकता वाले हैं. मेरा मानना है कि यह एक बड़ा षड्यंत्र है. हमारे मठ-मंदिरों की आमदनी सरकार लेती है और उसके बाद भी हमारे साथ इस तरह का अन्याय होता है. अगर हिंदू राष्ट्र बन जाएगा, तो इस तरह के कृत्य हमारे हिंदुस्तान में कभी नहीं होंगे. इसलिए इस तरह के षड्यंत्र को नाकाम करने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा. मठ-मंदिरों से सरकारी नियंत्रण समाप्त होगा, तभी इसका समाधान निकल पाएगा.“
स्वामी राघवाचार्य ने तिरुपति मंदिर की घटना का जिक्र करते हुए कहा, “यह एक संवेदनशील विषय है. हिंदू धर्म और मठ-मंदिरों के साथ जिस तरह का अन्याय किया जा रहा है, वह हमारे धर्म के लिए बहुत घातक है. हिंदू समाज को सावधान होने की जरूरत है. हमारी मांग है कि जितने भी मठ-मंदिर सरकार के नियंत्रण में है, उस पर से सरकार का नियंत्रण हटना चाहिए. हमारी परंपरा के अनुरूप ही मठ-मंदिर चलने चाहिए. अगर सरकार का हस्तक्षेप इसमें बना रहेगा ,तो ऐसी विकृतियां होने की संभावना बनी रहेगी. हमारी आस्था और भावना के साथ खिलवाड़ किया गया. हिंदू धर्म को भ्रष्ट करने का षड्यंंत्र रचा गया है.“
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