नई दिल्ली, 21 सितंबर . भारतीय कैंसर जीनोम एटलस ने दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली घातक बीमारी के खिलाफ शोध और उपचार को बढ़ावा देने के लिए भारत का पहला व्यापक कैंसर मल्टीमीडिया डेटा पोर्टल लॉन्च किया.
यह प्लेटफॉर्म भारतीय कैंसर रोगियों को चिकित्सकीय रूप से डेटा तक खुली पहुंच प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य भारतीय आबादी के लिए कैंसर अनुसंधान और उपचार को बदलना है.
भारत में कैंसर का उपचार हमेशा पश्चिमी डेटा सेट पर आधारित रहा है. हालांकि, भारतीय रोगियों में कैंसर का स्तर काफी भिन्न होता है. यह नया ओपन एक्सेस पोर्टल कैंसर अनुसंधान में क्रांति लाने में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे भारतीय रोगियों के लिए व्यक्तिगत उपचार संभव हो सकेगा.
गैर-लाभकारी संस्था ने कहा, “मल्टी-ओमिक्स पोर्टल भारत का पहला ऐसा पोर्टल है जो स्तन कैंसर रोगियों के डीएनए, आरएनए और प्रोटीन प्रोफाइल सहित डेटा प्रदान करता है, जिसे नैदानिक परिणामों के साथ एकीकृत किया गया है.”
वर्तमान समय की बात करें तो इस प्लेटफॉर्म पर 50 स्तन कैंसर रोगियों का डेटा उपलब्ध है, और आने वाले वर्ष में इसमें 500 से अधिक रोगियों को जोड़ने की योजना है. यह डेटा भारत के पीआरआईडीई दिशानिर्देशों के तहत वैश्विक अनुसंधान समुदाय के लिए निशुल्क उपलब्ध है, जो कैंसर अनुसंधान में नैतिक साझाकरण और सहयोग को बढ़ावा देता है.
यह प्लेटफॉर्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीबायोपोर्टल प्लेटफॉर्म पर आधारित है और यह वैश्विक कैंसर शोधों में सहायता प्रदान करेगा.
आईसीजीए के गैर-कार्यकारी निदेशक डॉ. आनंद देशपांडे ने कहा, ”हमने इस ग्राउंडब्रेकिंग मल्टी-ओमिक्स कैंसर पोर्टल के साथ एक शानदार शुरुआत की है. कैंसर हम सभी को प्रभावित करता है और भारत में विशेष रूप से विशिष्ट आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों की वजह से इसमें अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत उपचार की तत्काल आवश्यकता है.”
उन्होंने आगे कहा, ”यह पोर्टल शोधकर्ताओं को महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा, ताकि वे बेहतर उपचार परिणामों पर काम कर सकें. मैं सभी को इस महत्वपूर्ण कार्य में योगदान देने और समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, जिससे हमें कैंसर के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने में मदद मिलेगी.”
अपोलो हॉस्पिटल्स की एक हालिया रिपोर्ट में भारत को “दुनिया की कैंसर राजधानी” कहा गया है.
2019 में भारत में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गईं. लैंसेट की रिपोर्ट से पता चला कि एशिया में बीमारी के बोझ से जूझ रहा दूसरा सबसे बड़ा देश भारत है.
2020 में यह संख्या बढ़कर 13.9 लाख हो गई, जो फिर 2021 और 2022 में क्रमशः 14.2 लाख और 14.6 लाख हो गई. बढ़ती उम्र, प्रदूषण, खराब खान-पान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण यह संख्या और बढ़ जाएगी.
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एमकेएस/एबीएम