नई दिल्ली, 19 सितंबर . दिल्ली सरकार ने स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मौजूदा ग्रामीण सेवा वाहनों को इलेक्ट्रिक विकल्पों में बदलने की मंजूरी दे दी है. मौजूदा ग्रामीण सेवा वाहनों के 15 साल पूरे होने को हैं और ज़्यादातर ग्रामीण सेवा वाहनों की हालत जर्जर हो चुकी है.
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए पुराने ग्रामीण सेवा वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलकर, हम न केवल प्रदूषण कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं, बल्कि दिल्लीवासियों के लिए यात्रा अनुभव को बेहतर और सुगम बना रहें हैं.
ग्रामीण सेवा वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. जिनके मुताबिक ग्रामीण सेवा वाहन के मालिक जो नया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते हैं, वे दिल्ली परिवहन की फ़ेसलेस सेवा के जरिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
आवेदन के लिए आधार जरूरी है. यदि आधार उपलब्ध नहीं है, तो एनरॉलमेंट आईडी का उपयोग किया जा सकता है. इसके साथ ही एक बार आवेदन जमा हो जाने के बाद, पंजीकरण प्राधिकारी सात दिनों के भीतर नो ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) जारी करेंगे. अथॉरिटी यह सुनिश्चित करेगा कि वाहन के साथ कोई कर, जुर्माना या कानूनी समस्या न हो और यह राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) डेटाबेस पर स्पष्ट हो. यदि कोई समस्या पाई जाती है, तो मालिक को सूचित किया जाएगा और उन्हें सात दिनों के भीतर हल करना होगा.
एनडीसी प्राप्त करने के बाद, वाहन को 15 दिनों के भीतर अधिकृत स्क्रैपिंग सुविधा में ले जाना होगा. वाहन स्क्रैप होने पर मालिक को जमा प्रमाणपत्र (सीओडी) मिलेगा. एनडीसी और सीओडी के साथ, वाहन मालिक किसी भी अधिकृत डीलर से एक नया इलेक्ट्रिक ग्रामीण सेवा वाहन खरीद सकते हैं. इसके अलावा नया वाहन खरीदने के बाद मालिक को उसके पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा. यह प्रक्रिया भी फेसलेस है और इसमें वाहन निर्माता से एनडीसी, सीओडी, आधार, टैक्स चालान और अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होगी.
पंजीकरण प्राधिकारी सभी विवरणों को सत्यापित करेंगे और ग्रामीण सेवा योजना के तहत वाहन के पंजीकरण को अपडेट करेंगे. नए वाहन को पुराने वाहन के समान मार्ग का ही परमिट मिलेगा. गौरतलब है कि ग्रामीण सेवा को वर्ष 2011 में शुरू किया गया था. इनमें ड्राइवर को छोड़कर छह यात्रियों के बैठने की क्षमता होती है. ये वाहन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों, अनधिकृत और पुनर्वास कॉलोनियों और जेजे समूहों में चलते हैं. वर्तमान में, पूरी दिल्ली में 2,000 से अधिक ग्रामीण सेवा वाहन सर्विस में हैं.
–
पीकेटी/एबीएम