कैसे वडनगर ने पीएम मोदी के शुरुआती दिनों को दिया आकार, डॉक्यूमेंट्री से हुआ खुलासा

वडनगर, 17 सितंबर . गुजरात के मेहसाना जिला में बसे छोटे से शहर वडनगर का इतिहास बहुत पुराना है. जहां 2300 सालों का समृद्ध इतिहास और धरोहर बसती है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर मोदी आर्काइव अकाउंट ने खुलासा किया है कैसे वनडनगर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुरुआती दिनों को आकार दिया था.

मोदी आर्काइव पीएम मोदी के जीवन से जुड़े कई रोचक, अनकहे और अनसुने किस्से शेयर करता है. मोदी आर्काइव ने पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर तीन डॉक्यूमेंट्री वीडियो शेयर करते हुए वडनगर के इतिहास के बारे में जानकारी शेयर की है. यह तीनों वीडियो वडनगर के इतिहास के साथ युवा नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हैं.

पहली डॉक्यूमेंट्री का नाम ‘जन्मभूमि’ है, जिसमें बताया गया है कि इसी शहर ने भारत को एक ऐसा नेता दिया है जो इतिहास के पन्नों को नए सिरे से लिख रहा है. आइए, उस धरती के बारे में जानें जिसने कई सभ्यताओं और कहानियों को जन्म दिया है और अब वह भारत के 14वें प्रधानमंत्री का जन्म स्थान भी है.

वीडियो में जानकारी दी गई है, “ग्रंथों के अनुसार महाभारत काल में वडनगर को अनार्थपुर के नाम से जाना जाता था. स्कन्द पुराण में इसे चमत्कारपुर कहा गया है. यह इतिहास में सात बार नष्ट हुआ लेकिन हर बार उठ खड़ा हुआ. वडनगर में कभी हजारों बौद्ध भिक्षु रहते थे. चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इसके वैभव का उल्लेख अपनी यात्रा में भी किया. यहां खुदाई में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक के पुरातात्विक अवशेष हासिल हो चुके हैं. बारहवीं शताब्दी का कीर्ति तोरण सोलंकी युग की उत्कृष्ट कला का एक उदाहरण है.”

वीडियो में आगे हाटकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताया गया है जहां शिवलिंग को स्वयं प्रकट माना जाता है. कभी वडनगर की जीवन रेखा के तौर पर पहचान बनाने वाले शर्मिष्ठा तालाब के बारे में भी बताया गया है. कैसे एक एक छोटा सा नगर भारत के प्राचीन इतिहास में अपने हिस्से के असंख्य अध्यायों को समेटे हुए है और सदियों से जीवित सभ्यता का साक्षी बना हुआ है. वडनगर की गाथा में 17 सितंबर, 1950 को एक और सुनहरा अध्याय जुड़ा. जब भारत के 14वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ था.

दूसरी डॉक्यूमेंट्री का नाम ‘परिश्रम’ है जिसमें पीएम मोदी की साधारण पृष्ठभूमि से शुरू हुई असाधारण यात्रा को दिखाया गया है. डॉक्यूमेंट्री ने उनके बचपन की झलक दिखाते हुए बताया, “40×12 फीट के छोटे से घर से लेकर वैश्विक मंच तक, पीएम मोदी की यात्रा मेहनत और लगन की मिसाल है. साधारण परिवार में जन्मे मोदी ने बचपन से ही मेहनत और समझदारी से मुश्किलों का हल निकालना सीखा.”

इस डॉक्यूमेंट्री में पीए्म मोदी के बचपन के दिन, उनके संघर्ष और गरीबी, उनका चाय बेचना और उनकी आदतों के बारे में बताया गया है.

तीसरी सीरीज ‘नन्हा नारु’ में युवा मोदी के व्यक्तित्व के बारे में बताया गया है. जिसने एक साधारण चाय बेचने वाले से देश के सर्वोच्च पद तक उनकी अद्भुत यात्रा की नींव रखी. कैसे बचपन में मोदी अपने साथियों के साथ जुड़े हुए थे. कैसे उन्होंने अपने दोस्त को तालाब में कूदकर बचाया था. कैसे वह बचपन से ही आंदोलित प्रवृत्ति के थे. उन्होंने चाय बेचते हुए वडनगर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की बातें सुनते हुए हिंदी सीखी थी.

एएस/