नई दिल्ली में 17 से 20 सितंबर तक नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का आयोजन

नई दिल्ली, 16 सितंबर . पश्चिम एशिया में उभरती भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक गतिशीलता व क्षेत्रीय चुनौतियों की पृष्ठभूमि में नौसेना के कमांडरों का सम्मेलन होने जा रहा है. यहां नौसेना कमांडरों के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.

पश्चिम एशिया में समुद्री सुरक्षा संबंधी स्थिति की जटिलता की पृष्ठभूमि में आयोजित यह सम्मेलन भारतीय नौसेना के भविष्य के कार्यक्रम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा संस्करण 17 से 20 सितंबर तक नई दिल्ली में होने जा रहा है.

यहां कमांडर्स स्वदेशीकरण को बढ़ाने के लिए चल रही नौसेना की परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे. भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना के परिचालन की व्यापक समीक्षा की जाएगी.

नौसेना की तैयारियों, क्षमता बढ़ाने की योजना पर चर्चा, स्वदेशीकरण, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना भी कमांडर सम्मेलन का उद्देश्य है. कमांडर 2047 तक पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के दृष्टिकोण पर भी चर्चा करेंगे. ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने के लिए मौजूदा नौसेना परियोजनाओं की भी समीक्षा की जाएगी. यहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय अपेक्षाओं से संबंधित मामलों पर नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे.

इस सम्मेलन में आर्मी और एयर फोर्स प्रमुख भी मौजूद रहेंगे. इनके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भी नौसेना के कमांडरों के साथ मौजूद रहेंगे. संघर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में तीनों सेनाओं के बीच सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किया जाएगा.

सम्मेलन की शुरुआत में नौसेना प्रमुख पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना द्वारा किए गए प्रमुख परिचालन, सामग्री, लॉजिस्टिक, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे. इसके अलावा समुद्री रक्षा हितों की चर्चा भी इस कमांडर कॉन्फ्रेंस में की जाएगी.

नौसेना ने व्यापारिक गतिविधियों की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले ड्रोन और मिसाइल खतरों के खिलाफ शक्तिशाली जवाब दिया है. नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सुरक्षा को लेकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है.

जीसीबी/एबीएम