नई दिल्ली, 16 सितंबर . दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने सोमवार को न्यूज एजेंसी से खास बातचीत की. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे देने से लेकर, ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ सहित कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी.
सवाल : दिल्ली के अगले सीएम को लेकर अरविंद केजरीवाल आज बैठक कर रहे हैं, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब : इसका कोई अर्थ नहीं है. ज्यादातर राजनीतिक दलों में जब इस तरीके का सत्ता बदलती है, नेता बदलता है, मुख्यमंत्री बदलता है, तो एक जिज्ञासा इसलिए होती है क्योंकि तमाम राजनीतिक पार्टियों में और भी नेता होते हैं. उन्होंने राजनीतिक जीवन में कुछ किया है, समाज सेवा में योगदान दिया है. किसी मुद्दे या क्षेत्रीय राजनीति के लिए या विषय के लिए वह लोग जाने जाते हैं. आम आदमी पार्टी में केवल केजरीवाल है, बाकी सब उनके घरेलू नौकर है. किसी का कोई वजूद नहीं है. मेरे हिसाब से यह निर्णय इस हिसाब से लेंगे कि कौन ऐसा व्यक्ति आएगा जो इनके भरोसे का हो, जो फाइल नहीं निकलने दे. इनके खिलाफ जो भ्रष्टाचार के सबूत है उसको दबा के रखें, जो इनके कहने पर काम करे, जिस कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करना है, उस पर हस्ताक्षर कर दे. एक तरीके से इनका पिट्ठू बनकर वहां रहे. दो-तीन लोगों ने तय कर लिया होगा. वो दिखाने के लिए तमाम औपचारिकता करेंगे. यह सब नाटक है, इसका कोई अर्थ नहीं है. केवल समय खराब करने वाली बात है.
सवाल : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह चाहते हैं कि नवंबर में चुनाव हो जाए? इसको लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : मुख्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री के इस्तीफे से चुनाव जल्दी नहीं होते क्योंकि उसके बाद राज्यपाल के पास यह मौका रहता है कि वह नई सरकार की संभावनाएं तलाश करें. अगर संभावनाएं तलाश करेंगे तो वो बिना विधानसभा को भंग किए राष्ट्रपति शासन भी लगा सकते है. वैसे भी जनवरी-फरवरी में विधानसभा भंग होना ही है. अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्दी चुनाव हो तो उनको कैबिनेट बुलानी चाहिए. उसमें यह तय करना चाहिए कि हम राज्यपाल के पास इस संबंध में प्रस्ताव भेजेंगे और जल्द से जल्द चुनाव कराने की अपील करेंगे. वो इनकम टैक्स के अधिकारी रहे हैं संविधान पढ़ा हुआ है ,अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्द चुनाव हो तो उन्हें नाटक करने की बजाय यह कदम उठाना चाहिए. दिल्ली के राज्यपाल के पास असाधारण शक्तियां है. अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्दी चुनाव हो तो उन्हें यह प्रक्रिया अपनानी चाहिए.
सवाल : ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है, इसपर आपका क्या रूख है?
जवाब: महाराष्ट्र और हरियाणा में एक साथ कर नहीं पाए और वह सिर्फ इसमें राजनीति करने में लगे रहे. महाराष्ट्र में उनकी हालत बहुत खराब है, महाराष्ट्र में भाजपा को शायद 25-50 सीट भी नहीं मिलेगी. उन्होंने वहां महिलाओं को पेंशन देने वाली एक स्कीम चालू की है. इनको यह लगता है कि उससे कुछ सीटों में इजाफा हो सकता है. इसलिए वहां चुनाव इन्होंने एक साथ नहीं करवाया. जब इनकी राजनीति को सूट करें, तो वन नेशन वन इलेक्शन नहीं और जब किसी और की राजनीति को सूट ना करे तो वन नेशन वन इलेक्शन है. यह किसी उसूल पर नहीं चलते. वह यह देखते हैं कि उन्हें क्या फायदा हो सकता है? उस पर निर्णय लेते हैं.
सवाल : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि पूर्व पीएम राजीव गांधी और इंदिरा गांधी आरक्षण के खिलाफ थे, राहुल गांधी आरक्षण की बात करते हैं, इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब : वह उपराष्ट्रपति हैं, संवैधानिक पद पर हैं इसलिए ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहिए, लेकिन वह एक ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जिनको मैं कभी गंभीरता से नहीं लेता हूं. एक उपराष्ट्रपति के तौर पर मैं उनका सम्मान करता हूं, मगर व्यक्तिगत रूप से उनके प्रति मेरे अंदर कोई गंभीरता का भाव नहीं है.
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एकेएस/केआर