ईरान और बेलारूस के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक, द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने पर जोर

तेहरान, 14 सितम्बर . ईरान और बेलारूस के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ाने की दिशा में एक अहम बैठक में भाग लिया. दोनों पक्षों ने राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया. ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए ने यह जानकारी दी.

समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने आईआरएनए के हवाले से बताया कि बेलारूस की राजधानी मिंस्क में शुक्रवार को एक बैठक के दौरान ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली अकबर अहमदियन और बेलारूस के सुरक्षा परिषद के राज्य सचिव अलेक्जेंडर वोल्फोविच ने औद्योगिक, खनन और व्यापार क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि दोनों पक्षों ने रणनीतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे ग्रुप्स सहित अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में तेहरान और मिंस्क के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया.

अहमदियन ने अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में बहुपक्षवाद को आगे बढ़ाने के प्रति दोनों देशों के समान दृष्टिकोण को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि एससीओ, ब्रिक्स और इसी तरह के संगठन एक नई विश्व व्यवस्था के अग्रदूत हैं.

ईरानी अधिकारी ने पश्चिम की एकतरफा नीतियों का मुकाबला करने के लिए स्वतंत्र देशों के बीच विस्तारित सहयोग की जरुरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी देश प्रतिबंधों का इस्तेमाल अन्य देशों को नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैं.

वोल्फोविच ने बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने के मामले में अहमदियन से सहमति जताते हुए कहा कि मिंस्क और तेहरान के विचार समान हैं और वे इस दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बेलारूस की स्थिति ईरान के साथ मेल खाती है, दोनों देशों का संघर्षों के बारे में आकलन समान है.

बेलारूसी अधिकारी ने क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने और युद्ध की भावना से बचने की बेलारूस की सैद्धांतिक नीति का जिक्र किया. उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष और गाजा में युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक संघर्षों के रूप में उल्लेख किया.

वोल्फोविच ने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों पर वर्तमान विश्व व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश करने का आरोप लगाया, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि यह इन संघर्षों को बढ़ाती है.

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