वाराणसी, 13 सितंबर . वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार को हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह मांग की गई थी कि व्यास जी तहखाने की छत पर मुस्लिमों के नमाज अता करने पर रोक लगाई जाए. हिंदू पक्षकारों ने “कमजोर छत” को अपनी मांग की वजह बताते हुए तर्क दिया था कि छत किसी भी वक्त क्षतिग्रस्त हो सकती है.
व्यास जी के तहखाने में हिंदू जहां पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं मुस्लिम पक्ष उसकी छत पर नमाज अता करता है. ऐसे में यह जगह दोनों ही समुदायों के लिए आस्था के साथ-साथ कानूनी लड़ाई का भी अखाड़ा बन गया है.
हिंदू पक्ष ने अदालत में तर्क दिया कि अगर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग व्यास जी तहखाने की छत पर नमाज अता करेंगे, तो इस बात की प्रबल आशंका रहेगी कि छत ध्वस्त हो जाए, यह जानलेवा भी हो सकता है. लिहाजा अच्छा रहेगा कि मुस्लिम समुदाय के वहां नमाज पढ़ने पर रोक ही लगा दी जाए.
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) हितेश अग्रवाल की अदालत द्वारा याचिका खारिज करने पर हिंदू पक्ष ने निराशा जाहिर की. उसने अदालत से कहा कि याचिका तो खारिज कर दी गई, लेकिन अगर कभी छत ध्वस्त हो गई और कोई जानलेवा हादसा हुआ, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
हिंदू पक्ष ने अब जिला अदालत में जाने का फैसला कर लिया है, जिससे स्पष्ट है कि अब इस मामले में कानूनी लड़ाई लंबी खिंच सकती है.
कानपुर की आकांक्षा तिवारी, लखनऊ के दीपक प्रकाश शुक्ला, अमित कुमार और सुविद प्रवीण ने 16 दिसंबर 2023 को यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि व्यास जी का तहखाना बहुत पुराना और जर्जर हो चुका है. इसके पिलर भी कमजोर हैं. नमाजियों के यहां आने-जाने से गंभीर हादसा हो सकता है, जो कि जानलेवा भी साबित हो सकता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों के आने पर रोक लगाई जाए और उन्हें यहां नमाज अता करने से रोका जाए.
हिंदू पक्ष की इस याचिका के विरोध में मुस्लिम पक्ष ने भी एक याचिका दाखिल कर दी थी. मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष द्वारा दी गई सभी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया.
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एसएचके/एकेजे