जमानत का मतलब यह नहीं कि आरोप से मुक्त हो गए केजरीवाल : कांग्रेस

नई दिल्ली, 13 सितंबर . दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से मंजूर हो गई. इस पर दिल्ली कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलना न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है. जमानत के बाद यह नहीं समझना चाहिए कि मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और अब अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले के आरोप से मुक्त हो गए हैं. मामला अभी भी कोर्ट के संज्ञान में है.

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव के मुताबिक सत्य यह भी है कि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री के दायित्व का कोई भी काम केजरीवाल नहीं कर सकते. दिल्ली की जनता के सामने केजरीवाल और उनकी पार्टी का चरित्र उजागर हो चुका है, और जनता दिल्ली में बदलाव चाहती है. अरविंद केजरीवाल की जमानत पर आम आदमी पार्टी को यह ध्यान में रखना होगा कि केजरीवाल को जमानत उनके मुख्यमंत्री पद के अधिकारों को संकुचित करके शर्तों पर दी गई है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि जमानत पर रिहा केजरीवाल अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं कर सकते. किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे. केजरीवाल अपने कार्यालय नहीं जा सकेंगे, न ही सचिवालय जा सकेंगे. सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे, केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्तक्षेप नहीं करेंगे, जांच में सहयोग करने के साथ जरुरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे.

उन्होंने कहा कि शराब घोटाले की जांच में मुख्यमंत्री केजरीवाल की जमानत का फैसला कानून के अंतर्गत लिया गया है, हम उसका सम्मान करते हैं. दिल्ली कांग्रेस का शुरू से ही स्पष्ट रुख रहा है कि शराब घोटाले में हुए भ्रष्टाचार का मामला हो या दिल्ली सरकार के विभागों में भ्रष्टाचार हो, दोषियों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाना चाहिए और यदि कोई निर्दोष है तो उसे जेल नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सबूतों के साथ शराब घोटाले की सीबीआई में शिकायत की थी और अगर नई आबकारी नीति में कोई त्रुटि नहीं थी या भ्रष्टाचार नहीं हुआ था तो केजरीवाल जी ने उसे वापस क्यों लिया. शर्तों पर बेल मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल का पासपोर्ट कोर्ट में जब्त रहेगा और उन्हें जांच अधिकारी के समक्ष हर सोमवार और गुरुवार को अपनी मौजूदगी दर्ज करानी होगी. अरविंद केजरीवाल को नैतिकता के आधार पर अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

जीसीबी/एबीएम