एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री को मिल रहा ‘मेक इन इंडिया’ का फायदा, अगले 4 वर्षों में 80,000 करोड़ रुपये के पार जा सकता है निर्यात

नई दिल्ली, 10 सितंबर . भारत की एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि देखने को मिली है. इस कारण निर्यात अगले 4 वर्षों में 80,000 करोड़ रुपये को पार कर सकता है. नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत कंपनियों को समय पर फ्रेमवर्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे भारत मैन्युफैक्चरिंग और एग्रोकेमिकल निर्यात का हब बन सकता है.

भारत की एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उद्योग कम कीमत में अच्छी गुणवत्ता वाले केमिकल उपलब्ध करा रही है.

इस कारण भारत की एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री के उत्पाद दुनिया के किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) और ईवाई की रिपोर्ट में बताया गया कि अगर इंडस्ट्री को अनुकूल माहौल मिलता है कि सेक्टर से निर्यात अगले चार वर्षों में 80,000 करोड़ रुपये का पार पहुंच सकता है.

एसीएफआई की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार को इंडस्ट्री के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत है. इसमें लाइसेंस नियमों को सरल बनाना, भंडारण और बिक्री के लिए अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना, बायोपेस्टिसाइड प्रोडक्शन के लिए इंसेंटिव देना, नई मॉलिक्यूल्स के लिए पंजीकरण प्रोसेस को आसान करना आदि शामिल है. इसके अलावा वैश्विक कंपनियों के निवेश आकर्षित करने के लिए इस सेक्टर में भी पीएलआई जैसी स्कीम की आवश्यकता है.

भारत के कृषि क्षेत्र की सफलता में एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है. उद्योग की ओर से फसलों की उत्पादकता को बढ़ाया गया है और साथ ही खाद्य सुरक्षा में बड़ा योगदान दिया गया है.

केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में इंडस्ट्री को कहा था कि केमिकल सेक्टर को मजबूती देने के लिए सरकार आने वाले समय में नीतिगत हस्तक्षेप करेगी.

नड्डा ने आगे कहा कि सरकार की ओर से देश में इंडस्ट्रियल वृद्धि दर का समर्थन करने के लिए कई ढांचागत बदलाव किए गए हैं और इससे केमिकल सेक्टर को भी मजबूती मिली है.

एबीएस/एबीएम