नई दिल्ली, 9 सितंबर . कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इन दिनों अपनी तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका में हैं. इस अवसर पर उन्होंने अमेरिका के डलास स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया.
इस संबोधन के दौरान उन्होंने देवी-देवताओं को लेकर भी बयान दिया. उनके इस बयान पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तीखा प्रहार किया है.
कांग्रेस के पूर्व नेता और श्री कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी को अमेरिका में यह भी बताना चाहिए था कि क्या देवता की परिभाषा में केवल वह हीं फिट बैठते हैं. राहुल गांधी को खुद ये लगता है कि वह खुद एक दैवीय पुरुष हैं. वह खुद को देवता मानने लगे हैं. और अगर ऐसा है तो उन्हें बताना चाहिए कि वह कौन से भगवान के कौन से अवतार हैं. हमारे ग्रंथों में लिखा है कि भगवान के कुल दस अवतार होने हैं, जिनमें नौ हो चुके हैं और एक कल्कि का अवतार अभी होना है. राहुल गांधी को यह भी बताना चाहिए कि कहीं वह यही बचा हुआ अवतार तो नहीं हैं, और अभी तक छुपे बैठे हों, उन्होंने इसके बारे में किसी को बताया नहीं हो.
उन्होंने आगे कहा, “उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या वाकई वह देवता हैं. मुझे लगता है कि राहुल गांधी अपने-आप को देवताओं से भी बड़ा मानते हैं. ये बात अलग है कि कांग्रेस पार्टी में वह भगवान हैं.”
उन्होंने से बात करते हुए कहा, “राहुल गांधी को यह बताना चाहिए कि वह चीन के साथ हैं या भारत के. अगर उन्हें चीन की नीतियां अच्छी लगती हैं, तो उनको चीन जाकर राजनीति करनी चाहिए. मैं राहुल गांधी के ऐसे बयानों से बहुत हैरान हूं.”
वह कहते हैं, “असदुद्दीन ओवैसी भी देश के बाहर जाकर देश के खिलाफ नहीं बोलते हैं. ओवैसी देश के बाहर देश के साथ खड़े रहते हैं. वह कभी बाहर देश का विरोध नहीं करते. लेकिन राहुल गांधी ऐसे व्यक्ति हैं, जो देश के बाहर जाकर देश के खिलाफ बोलते हैं.”
बता दें, अमेरिका में राहुल गांधी ने कहा है, ‘भारत में देवता का मतलब में एक ऐसा व्यक्ति होता है, जिसकी आंतरिक भावनाएं उसकी बाहरी अभिव्यक्ति के जैसी ही होती हैं. इसका मतलब यह है कि वह व्यक्ति पूरी तरह से पारदर्शी है. मतलब भगवान नहीं है. अगर कोई व्यक्ति मुझे वो सब कुछ बताता है, जो वो मानता है और इसे खुले तौर पर मुझसे व्यक्त करता है, तो वह व्यक्ति देवता की परिभाषा में आता है. हमारी राजनीति में दिलचस्प बात यह है कि आप अपने विचारों, अपने डर, लालच या महत्वाकांक्षाओं को कैसे दबाते हैं और दूसरे लोगों के डर और महत्वाकांक्षाओं का निरीक्षण कैसे करते हैं.’
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