नई दिल्ली, 9 सितंबर . देश में एमपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) के महामारी का रूप लेने की संभावना बहुत कम है.
एम्स नई दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने को बताया, “घबराने की कोई जरूरत नहीं है. मानता हूं कि मृत्यु दर अब भी अधिक है, लेकिन संक्रमण केवल करीबी संपर्कों के मामलों में ही संभव है.”
उन्होंने कहा, “बिना सीधे संपर्क के संक्रमण होने की संभावना काफी कम है, इसलिए मंकीपॉक्स के व्यापक महामारी बनने की संभावना न्यूनतम है.”
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है. इसमें बुखार के साथ शरीर पर दाने निकलने लगते हैं. इसके संक्रमण के बाद लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है या उनका आकार बढ़ जाता है. लिम्फ नोड शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा हैं. साल्वे ने कहा कि यह अपने-आप ठीक होने वाली बीमारी है और मरीज चार सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं.
भारत में एमपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आया है, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है. यह अफ्रीका के लगभग 13 देशों में फैल चुका है, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा है. यह प्रकोप मुख्य रूप से एक अधिक घातक स्ट्रेन क्लेड 1बी के कारण होता है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में संदिग्ध मरीज एमपॉक्स के अधिक घातक स्ट्रेन से जुड़ा है या नहीं.
जाने-माने एचआईवी विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने को बताया, “सरकार द्वारा एमपॉक्स के पहले संदिग्ध मामले की घोषणा के साथ ही हर कोई चिंतित है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. चूंकि संक्रमण केवल यौन संबंध या किसी आंतरिक शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैल रहा है, इसलिए यह कोविड-19 जैसी बड़ी समस्या नहीं बनेगा.”
हालांकि, उन्होंने चिकित्सा समुदाय को एमपॉक्स के प्रबंधन, निदान और पता लगाने के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही प्रयोगशालाओं की संख्या और उनके कार्यभार की प्रभावशीलता बढ़ाने पर भी जोर दिया.
यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई में एचआईवी/एसटीडी के सलाहकार डॉ. गिलाडा ने एमपॉक्स वैक्सीन का निर्माण शुरू करने का आग्रह किया, जिससे न केवल भारत को बल्कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों को भी मदद मिल सकती है.
उन्होंने यह भी आह्वान किया कि “ऐसे लोगों को प्राथमिकता के आधार पर चेचक का टीका लगाया जाए क्योंकि इससे एमपॉक्स के मामले में कुछ सुधार देखा जा सकता है.”
केंद्र सरकार ने रविवार को कहा था कि एक युवक में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के लक्षण पाए गए हैं. मरीज को एक अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है. यह देश में एमपॉक्स का पहला संदिग्ध मामला है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि जिस युवक में एमपॉक्स के लक्षण मिले हैं, वह अभी हाल ही में संक्रमण प्रभावित देश की यात्रा करके आया था.
मंत्रालय ने कहा, “मरीज को एक निर्दिष्ट अस्पताल में अलग कर दिया गया है और वर्तमान में उसकी हालत स्थिर है.” हालांकि, मंत्रालय ने यह नहीं बताया है कि युवक किस देश की यात्रा करके आया था. साथ ही वह किस राज्य से है, इसका भी खुलासा नहीं किया गया है.
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आरके/एकेजे