श्रीनगर, 8 सितंबर . 40 साल पुराने चुनाव बहिष्कार को तोड़ते हुए जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) कार्यकर्ताओं ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सीपीआई (एम) के एम वाई तारिगामी के खिलाफ मैदान में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में एक बड़ी चुनावी रैली निकाली.
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस ने तारिगामी के समर्थन में कुलगाम विधानसभा क्षेत्र से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है.
1987 के बाद जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ताओं ने जमात के पूर्व सदस्य, स्वतंत्र उम्मीदवार सयार अहमद रेशी के पक्ष में बड़े पैमाने पर शक्ति प्रदर्शन किया.
यह रैली कुलगाम जिले के बुगाम क्षेत्र में आयोजित की गई थी और जमात प्रायोजित उम्मीदवार ने कश्मीरियों, कश्मीर और राजनीतिक कैदियों के बारे में बात की.
इस संगठन द्वारा 40 वर्षों के बाद आयोजित पहली रैली में सैकड़ों लोग शामिल हुए.
संगठन चार दशकों से जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनावों से दूर रहा है.
लोकसभा चुनाव में लोगों की बड़ी भागीदारी ने जेईआई को राजनीतिक व्यवस्था में फिर से प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया. 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा जमात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
रैली को संबोधित करते हुए सयार अहमद रेशी ने कहा, “हम यहां यह कहने आए हैं कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा पैदा किए गए शून्यता को भरने की जरूरत है. जनता हमारी ताकत है. हमारे खिलाफ उंगलियां उठाई जाएंगी और हमारी आलोचना भी की जाएगी, लेकिन यह हकीकत है.”
जमात-ए-इस्लामी ने अब तक अपने पूर्व सदस्यों को दक्षिण कश्मीर के जिलों में मैदान में उतारा है और संगठन द्वारा मध्य और उत्तर कश्मीर विधानसभा क्षेत्रों में भी उम्मीदवार उतारने की उम्मीद है.
चुनावी राजनीति में जमात-ए-इस्लामी के फिर से प्रवेश से क्षेत्रीय मुख्यधारा के दलों के लिए निश्चित रूप से परिस्थितियां बदलेंगी, क्योंकि घाटी में इसकी अनुपस्थिति और इसके बड़े कैडर आधार के कारण चुनाव महज दो क्षेत्रीय दलों, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के बीच मुकाबला बनकर रह गया था.
जम्मू-कश्मीर में 28 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा. मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी.
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एकेएस/