सोनीपत (हरियाणा), 8 सितंबर . पैरालंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट धर्मवीर नैन रविवार को देश लौट आये. मेडल जीतने के बाद पहली बार घर आने पर लोगों ने ढोल-नगाड़ों से उनका स्वागत किया. इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद किया.
पेरिस पैरालंपिक में हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा रहा. सोनीपत के धर्मवीर नैन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश की प्रदेश और देश की झोली में गोल्ड मेडल डाला. उन्होंने क्लब थ्रो इवेंट में अपने चौथे प्रयास में 34.92 मीटर थ्रो फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
अपने स्वागत से अभिभूत गोल्डन ब्वॉय ने कहा, “पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर बहुत खुशी हुई. एयरपोर्ट पर देशवासियों का स्वागत और गांव में लोगों का प्यार देखकर उतनी ही खुशी आज हो रही है.”
उन्होंने बताया कि गोल्ड मेडल जीतने की मेहनत एक या दो दिन की नहीं है. वह 2015 से इसके लिए मेहनत कर रहे हैं. पिछले 8-9 साल से लगातार मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने का श्रेय अपने परिवार और खासतौर पर अपने गुरु अमित सरोहा को दिया. उन्होंने कहा, “अगर उन लोगों ने समर्थन नहीं किया होता तो आज जिस मुकाम पर हूं, उसको पाना असंभव था.”
धर्मवीर ने बताया कि उनके साथ जो हादसा हुआ, उसके बाद उन्होंने सोचा कि “जिंदगी खत्म हो गई, अब कुछ नहीं बचा”. लेकिन फिर उन्होंने स्पोर्ट्स की लाइन चुनी. पहले तो सिर्फ टाइम पास के लिए खेलते थे, लेकिन बाद में इसमें और अच्छा होता गया.
उन्होंने जीवन में हादसे के शिकार लोगों से खास अपील की कि वे हताश न हों. कुछ करने का प्रयास करें. जरूरी नहीं है कि स्पोर्ट्स में ही करें, किसी भी लाइन में बेहतर करें.
उन्होंने बताया कि साल 2012 में नहर में नहाते समय पानी कम होने की वजह से उनका सिर पत्थर में लग गया और मौके पर ही स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हो गई.
उल्लेखनीय है कि पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारत ने सात गोल्ड, नौ सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल के साथ कुल 29 पदक जीते हैं. यह पैरालंपिक खेलों में देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
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एससीएच/एकेजे