तिरुवनंतपुरम, 8 सितंबर . भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने केरल के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश और आंधी-तूफान की भविष्यवाणी की है.
आईएमडी के अनुसार, 13 सितंबर तक बारिश जारी रहेगी. आईएमडी ने कासरगोड, कन्नूर, कोझिकोड, मलप्पुरम, त्रिशूर और एर्नाकुलम जिले में येलो अलर्ट जारी किया है. इन छह जिलों में 64.5 मिमी से 115.5 मिमी तक भारी बारिश का अनुमान है.
आईएमडी ने लोगों को इस अवधि के दौरान भूस्खलन, भूस्खलन और जलभराव वाले क्षेत्रों में जाने से बचने की भी चेतावनी दी है. संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित होने की सलाह दी है.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी लोगों को मौसम विभाग की ओर से भारी बारिश की भविष्यवाणी के मद्देनजर सावधानी बरतने की चेतावनी दी है.
भारी बारिश के कारण विजिबिलिटी कम हो सकती है. जलभराव/पेड़ उखड़ने के कारण यातायात/बिजली में अस्थायी व्यवधान हो सकता है. फसलों को नुकसान हो सकता है और अचानक बाढ़ आ सकती है.
मौसम विभाग ने 11 सितंबर तक केरल में तूफानी मौसम की भी भविष्यवाणी की है. हवा की गति 45-55 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 65 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है.
प्रतिकूल मौसम की स्थिति को देखते हुए मछुआरों को इस अवधि के दौरान केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप तटों पर न जाने की सलाह दी गई है. आईएमडी ने सोमवार को अलप्पुझा, एर्नाकुलम, त्रिशूर, मलप्पुरम, कोझिकोड, कन्नूर और कासरगोड जिलों में येलो अलर्ट की भी घोषणा की.
ज्ञात हो कि वायनाड जिले में भारी बारिश के कारण 30 जुलाई को बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था, जिससे काफी विनाश हुआ था. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन सर्विसेज ने कहा कि 30 जुलाई को वायनाड में हुई बारिश इस क्षेत्र में अब तक की सबसे भारी और तीसरी सबसे भारी बारिश थी. इसने राज्य में 2018 की बाढ़ की भयावहता को भी पीछे छोड़ दिया था.
अध्ययनों के अनुसार, 30 जुलाई को जब वायनाड के मुंडक्कई, चूरलमाला और कई इलाकों में भूस्खलन हुआ था, तो एक ही दिन में 140 मिमी बारिश हुई. 22 जुलाई के बाद से, इस क्षेत्र में लगभग लगातार बारिश हो रही है और कुछ इलाकों में तो एक महीने में 1.8 मीटर से भी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है.
नॉर्वे, भारत, मलेशिया, अमेरिका, स्वीडन और नीदरलैंड के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने बताया है कि पिछले 45 वर्षों में बारिश की तीव्रता 17 प्रतिशत अधिक हो गई है. उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की है कि केरल में एक दिन में होने वाली अत्यधिक बारिश 4 प्रतिशत और अधिक हो सकती है और इससे और भी अधिक विनाशकारी भूस्खलन हो सकता है.
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