नई दिल्ली, 6 सितंबर . सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
संदीप घोष ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य संचालित कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच को चुनौती दी थी. इसी संस्थान में पिछले माह एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या कर दी गई थी
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक आरोपी के तौर पर संदीप घोष को जनहित याचिका की कार्यवाही में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. कलकत्ता उच्च न्यायालय मामले की जांच की निगरानी कर रहा है और उसने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है.
घोष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में कथित वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच को चुनौती नहीं दी गई है, बल्कि अस्पताल में डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के साथ इसके संबंध पर सवाल उठाया गया है.
इस पर, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “दोनों पहलू जांच का विषय हैं.”
अरोड़ा ने दोहराया कि बायोमेडिकल कचरे की कथित बिक्री के मुद्दे और कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बीच कोई संबंध नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा कि अगर कलकत्ता उच्च न्यायालय में की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को दूर नहीं किया गया तो घोष के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह पैदा होगा.
उन्होंने स्पष्ट किया, ”मैं सीबीआई जांच पर आपत्ति नहीं कर रही हूं, लेकिन कुछ टिप्पणियों से व्यथित हूं.”
वरिष्ठ वकील ने आगे बताया कि अतीत में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी ऐसी ही याचिकाएं खारिज कर दी थी.
घोष द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष अनुमति याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के 23 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सीबीआई को कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच का प्रभार लेने का निर्देश दिया गया था, जब वह अस्पताल के प्रभारी थे.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में कई शिकायतें मिली थी, जब घोष वहां प्रिंसिपल के तौर पर काम कर रहे थे. आरोपों में राज्य स्वास्थ्य विभाग और कॉलेज परिषद से आवश्यक मंजूरी लिए बिना अपने विश्वास के निजी और आउटसोर्स पार्टियों को विभिन्न अनुबंध देना, राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा किए जाने वाले मानक अभ्यास का पालन करने के बजाय निजी आउटसोर्स संस्थाओं या व्यक्तियों द्वारा अस्पताल के बुनियादी ढांचे से संबंधित कार्य कराना और पोस्टमार्टम के उद्देश्य से अस्पताल के शवगृह में आने वाले अज्ञात शवों के अंगों सहित अस्पताल के बायो मेडिकल कचरे को बाहर बेचना शामिल है.
आरजी कार के पूर्व डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट अख्तर अली की याचिका पर कार्रवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने कहा कि सीबीआई जांच कोर्ट की निगरानी में होगी. उसी दोपहर घोष ने जस्टिस हरीश टंडन और हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ के समक्ष एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश को चुनौती दी. हालांकि, उन्हें तत्काल राहत नहीं दी गई और उन्हें पहले एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश की एक प्रति प्राप्त करने की सलाह दी गई.
एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश की प्रति लेकर पुनः खंडपीठ के पास जाने के बजाय, घोष ने सर्वोच्च न्यायालय जाने का विकल्प चुना.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई अधिकारियों ने कोलकाता में कई जगहों पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया.
घोष और तीन अन्य को सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने दो सितंबर की शाम को हिरासत में लिया.
कोलकाता की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को सरकारी कॉलेज में कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार घोष को आठ दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया.
घोष से वित्तीय अनियमितताओं के मामले के साथ-साथ पिछले महीने अस्पताल परिसर में आरजी कर के जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में भी पूछताछ की गई थी.
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी इन दोनों मामलों में समानांतर जांच कर रहे हैं.
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एकेएस/