नई दिल्ली, 5 सितम्बर . फिल्म निर्माता और लेखक विवेक अग्निहोत्री ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने कश्मीर पर बहस में भाग लेने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसायटी का निमंत्रण खारिज दिया है, क्योंकि बहस का विषय “भारत विरोधी” है.
फिल्म निर्माता ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर अपनी वॉल पर निमंत्रण पत्र की तस्वीर भी पोस्ट की है. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “मुझे प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा कश्मीर पर बहस के लिए आमंत्रित किया गया था. मुझे विषय आपत्तिजनक, भारत विरोधी और कश्मीर विरोधी लगा. मैंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है.”
अपने पत्र में फिल्म निर्माता ने आगे कहा, “ऑक्सफोर्ड यूनियन में बहस के निमंत्रण के लिए आपका धन्यवाद. हालांकि ऑक्सफोर्ड डिबेटिंग सोसायटी में बोलना हर निर्माता का सपना होता है, लेकिन मैं आपके निमंत्रण की विडंबना पर विचार कर रहा हूं और उचित विचार-विमर्श के बाद मैंने सम्मान पूर्वक मना करने का फैसला किया है. ‘यह सदन स्वतंत्र कश्मीर राज्य में विश्वास करता है’ पर बहस करने के लिए आपका निमंत्रण भारत की संप्रभुता को एक सीधी चुनौती है और यह मुझे अस्वीकार्य है. मुझे यह न केवल अप्रिय बल्कि अपमानजनक लगता है, न केवल 140 करोड़ भारतीयों के लिए, बल्कि 1990 के कश्मीर नरसंहार के सैकड़ों-हजारों विस्थापित स्वदेशी हिंदू पीड़ितों के अपमान के रूप में भी. इसे एक बहस के रूप में तैयार करना एक त्रासदी को एक पार्लर गेम में बदलने जैसा लगता है, जहां दांव पर मानव जीवन है और इसकी कीमत सिर्फ स्याही नहीं बल्कि खून है.”
अग्निहोत्री ने पोस्ट में आगे कहा, “कश्मीर की कहानी कोई बहस का विषय नहीं है, यह पीड़ा शांति की खोज की कहानी है. इसे स्वतंत्रता पर ‘हां’ या ‘नहीं’ तक सीमित करना मानवीय भावनाओं और इतिहास के जटिल ताने-बाने को नजरअंदाज करना है. कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार एक ऐसी कहानी है, जिसकी कीमत खून से चुकाई गई है, न कि दर्शकों की तालियों या मजाकिया जवाबों से.”
विवेक अग्निहोत्री ने ऑक्सफोर्ड यूनियन को यह पत्र 2 सितंबर को लिखा था, जिसे उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया पर साझा किया.
साल 2022 में विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लिए खूब चर्चा में रहे. जहां कई लोगों ने फिल्म की सराहना की, वहीं कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की.
फिल्म में 1990 के दशक में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों को दिखाया गया है, जिसके कारण उन्हें अपने घरों से भागना पड़ा. पाकिस्तान समर्थित विभिन्न आतंकी संगठनों द्वारा की गई हिंसा से बचने के लिए सात लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों ने पलायन किया.
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एकेएस/एकेजे