कलकत्ता हाईकोर्ट ने भास्कर घोष को सुरक्षा प्रदान की

कोलकाता, 4 सितंबर . कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच के नेता भास्कर घोष को सुरक्षा प्रदान की.

घोष के खिलाफ ‘नबन्ना अभिजन’ (राज्य सचिवालय तक मार्च) में भाग लेने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी, जो 27 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में आयोजित किया गया था.

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ते और उस पर अर्जित बकाया मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन चला रहे विभिन्न राज्य सरकार के कर्मचारियों की एक संयुक्त संस्था ज्वाइंट फोरम ने 2 सितंबर को न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की एकल-न्यायाधीश पीठ से गुहार लगाई थी.

‘नबन्ना अभिजन’ में भाग लेने के लिए उनके कुछ सदस्यों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के बाद बलपूर्वक पुलिस कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा की मांग की गई थी. फोरम ने छात्रों के एक समूह द्वारा बुलाए गए नबन्ना अभिजन का समर्थन किया और 27 अगस्त को फोरम के कई सदस्य भी विरोध मार्च में शामिल हुए.

मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद, एकल-न्यायाधीश पीठ ने बुधवार को पुलिस को अगले आदेश तक एफआईआर के आधार पर घोष के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया.

हाल ही में, कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने नबन्ना अभिजन के संयोजकों में से एक सयान लाहिड़ी को जमानत दे दी. न्यायमूर्ति सिन्हा ने पुलिस को न केवल विरोध मार्च से संबंधित मामले में बल्कि उनके खिलाफ दर्ज किसी भी अन्य मामले में लाहिड़ी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया.

अगले दिन लाहिड़ी को रिहा कर दिया गया. हालांकि, राज्य सरकार ने एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 2 सितंबर को शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि लाहिड़ी के मामले में “प्रथम दृष्टया” जमानत का मामला बनता है.

पिछले हफ्ते, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोलकाता पुलिस को एक नोटिस जारी कर ‘नबन्ना अभिजन’ में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस की कठोर कार्रवाई पर स्पष्टीकरण मांगा था.

एसएम/जीकेटी