सुमित अंतिल: एक पैरा एथलीट जिसने सुनहरे अक्षरों में लिखी अपने साहस की कहानी

नई दिल्ली, 4 सितंबर . ओलंपिक का मंच, जैवलिन इवेंट और नीरज चोपड़ा का नाम, तो आपने कई बार सुना होगा. मगर, क्या आप सुमित अंतिल को जानते हैं?, वो भी एक जैवलिन थ्रोअर है बस फर्क यह है कि वो एक पैरा एथलीट हैं. जैवलिन में अगर नीरज के बाद मेडल की उम्मीद देश को सबसे ज्यादा होती है, तो वो सुमित है. हालांकि, वो इस बार नीरज से भी आगे निकल गए.

पेरिस में जो काम नीरज नहीं कर पाए वो अधूरा काम सुमित ने पूरा किया. टोक्यो में इन दोनों एथलीटों ने ‘गोल्ड’ जीता था और पेरिस में इसको डिफेंड करने के लिए मैदान में थे. पाकिस्तान के नदीम से पिछड़ कर नीरज चूक गए लेकिन सुमित ने कोई गलती नहीं की.

सुमित अंतिल ने पुरुष जैवलिन थ्रो (एफ 64 वर्ग) में स्वर्ण पदक जीता. सुमित ने अपने दूसरे प्रयास में 70.59 मीटर दूर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. उनका थ्रो पैरालंपिक गेम्स के इतिहास (एफ64 वर्ग) का बेस्ट थ्रो रहा.

भारत के दो बार के विश्व चैंपियन सुमित अंतिल ने लगातार पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह ऐसा करने वाले पहले पैरा-एथलीट बन गए हैं. करीब एक महीने पहले नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में देश के लिए सिल्वर जीता था और अब सुमित अंतिल ने स्वर्ण पदक.

हरियाणा के सोनीपत के 29 वर्षीय अंतिल का सफर काफी संघर्षपूर्ण है. पिता की तरह इंडियन आर्मी का हिस्सा बनने का सपना देखने वाले इस एथलीट के साथ काफी छोटी उम्र में बहुत कुछ हुआ था.

इंडियन एयरफोर्स में कार्यरत सुमित अंतिल के पिता का निधन एक लंबी बीमारी के चलते तभी हो गया था, जब वो सिर्फ 7 साल के थे. कच्ची उम्र में सिर से पिता का साया उठा तो सुमित और उनके परिवार के लिए जिंदगी मानों पहाड़ सी हो गई थी. मगर उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी और अपने बेटे को हौसला दिया.

मां की हौसला अफजाई के बाद अपनी लंबी-चौड़ी कद काठी को देखते हुए सुमित अंतिल ने रेसलिंग में करियर बनाने का फैसला किया. लेकिन यहां भी उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे सुमित और उनकी मां की हिम्मत पूरी तरह टूट गई.

जब सुमित सिर्फ 16 साल के थे तो एक दर्दनाक एक्सीडेंट में उन्होंने अपना दायां पैर गंवा दिया, जिसके साथ ही उनका रेसलर बनने का सपना भी टूट गया. पर इस लड़के ने हार नहीं मानी और एक नए अध्याय की ओर बढ़ गया. और, यहीं से शुरू हुआ जैवलिन थ्रो में सुमित अंतिल का पैरालंपिक चैंपियन बनने का सफर.

सुमित अंतिल और नीरज चोपड़ा दोनों हरियाणा से आते हैं. ये दोनों एथलीट काफी अच्छे दोस्त भी हैं. जो ओहदा जैवलिन थ्रो में नीरज का है, उतना ही दमखम सुमित भी रखते हैं. उनके रिकॉर्ड की बात करें तो, टोक्यो और पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों की भाला फेंक एफ64 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने क्रमशः 68.55 मीटर और 70.59 मीटर के अपने थ्रो के साथ दोनों बार एक नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया. वह विश्व पैरा चैंपियनशिप में दो बार के स्वर्ण पदक विजेता हैं. 2022 में उनके नाम एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक है.

एएमजे/आरआर