नई दिल्ली, 2 सितंबर . केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि पिछले 10 साल में पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण का अनुपात 1.53 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैव ऊर्जा तेजी से जीवाश्म ईंधन का एक महत्वपूर्ण विकल्प बन रही है, जो खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरणीय लाभ और आर्थिक अवसर दोनों प्रदान करती है.
पुरी ने ‘इंडिया बायो-एनर्जी एंड टेक एक्सपो 2024’ (आईबीटीई) के उद्घाटन सत्र में कहा कि इस प्रगति से उत्साहित होकर सरकार ने 2025 तक 20 प्रतिशत मिश्रण तक पहुंचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है और वह इस लक्ष्य की ओर आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही है.
पिछले दशक में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम ने महत्वपूर्ण लाभ प्रदान किए हैं. कार्यक्रम में 99,014 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत, 519 लाख टन सीओ2 उत्सर्जन में कमी और 173 लाख टन कच्चे तेल का प्रतिस्थापन किया गया है.
इसके अलावा, मंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम का काफी आर्थिक प्रभाव पड़ा है. तेल विपणन कंपनियों ने डिस्टिलर्स को 1,45,930 करोड़ रुपये और किसानों को 87,558 करोड़ रुपये वितरित किए हैं.
पेट्रोलियम मंत्री के अनुसार, इथेनॉल ईंधन विस्तार में एक प्रमुख मील का पत्थर देश भर में 400 से अधिक खुदरा आउटलेट्स पर ई100 ईंधन का सफल शुभारंभ है. उन्होंने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया कि वह ऑटोमोबाइल निर्माताओं को ई100 ईंधन अनुकूल वाहन बनाने के लिए प्रोत्साहित करें.
अपने संबोधन में मंत्री पुरी ने जैव ऊर्जा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के रणनीतिक प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की तथा आयात पर निर्भरता कम करने, विदेशी मुद्रा बचाने और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में इसके महत्व पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि सरकार की रणनीति में कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें इथेनॉल और बायोडीजल सम्मिश्रण, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी), टिकाऊ विमान ईंधन, बायोमास उपयोग (जैसे छर्रे और ब्रिकेट), बायोहाइड्रोजन और अपशिष्ट से ऊर्जा समाधान शामिल हैं. साथ ही मंत्री ने ई20 ईंधन की व्यापक उपलब्धता पर भी प्रकाश डाला, जो अब पूरे भारत में 15,600 से अधिक खुदरा आउटलेट्स पर उपलब्ध है.
उन्होंने उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए ‘प्रधानमंत्री जी-वन योजना’ की सराहना की, जो एक स्थायी इथेनॉल उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है.
इथेनॉल उद्योग को और अधिक समर्थन देने के लिए सरकार ने विभिन्न प्रोत्साहनों जैसे मक्का से प्राप्त इथेनॉल के लिए 9.72 रुपये प्रति लीटर, क्षतिग्रस्त चावल से प्राप्त इथेनॉल के लिए 8.46 रुपये प्रति लीटर और गन्ने से प्राप्त सी-हैवी मोलासेज से प्राप्त इथेनॉल के लिए 6.87 रुपये प्रति लीटर की शुरुआत की है.
–
आरके/एकेजे