नई दिल्ली, 2 सितंबर . अमेरिका को पछाड़कर भारत 2027 तक दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर डेवलपर कम्युनिटी बन सकता है. यह जानकारी माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाले सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कोलेबरेशन प्लेटफॉर्म गिटहब के सीईओ थॉमस डोहम्के ने दी.
साथ ही कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में डेवलपर्स जीडीपी वृद्धि को आगे बढ़ा रहे हैं.
भारत भविष्य के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) बनाने पर लगातार काम कर रहा है. इससे लाखों डेपलपर्स को मदद मिलेगी. इसके साथ ही आर्थिक वृद्धि दर को भी सहारा मिलेगा.
राष्ट्रीय राजधानी में हुए ‘ईटी वर्ल्ड लीडर्स फोरम’ में सॉफ्टवेयर डेवलपर्स ने कहा कि सॉफ्टवेयर डेवलपर्स क्षेत्र अन्य सेक्टर्स की तुलना में अधिक तेजी से एआई को अपना रहा है और यह अवसरों के नए द्वार को खोल रहा है.
उन्होंने कहा कि हर कंपनी को एआई की ताकत पहचाननी होगी, क्योंकि एआई समस्याओं का समाधान है.
एआई डेवलपर से 2030 तक वैश्विक जीडीपी 1.5 ट्रिलियन डॉलर का प्रोडक्टिविटी बेनिफिट हो सकता है. गिटहब की स्टडी से जानकारी मिलती है कि गिटहब कोपायलट द्वारा सुझाए गए 30 प्रतिशत कोड यूजर्स ने स्वीकार किए हैं.
डोहम्के ने कहा कि जनरेटिव एआई का अगले एक दशक में काफी आर्थिक असर होने वाला है. हम बड़ी संख्या में कंपनियों और डेवलपर्स को एआई कोडिंग टूल जैसे गिटहब कोपायलट को अपनाते देख रहे हैं.
2030 में 45 मिलियन पेशेवर डेवलपर्स की अनुमानित संख्या के साथ, 30 प्रतिशत उत्पादकता वृद्धि का उपयोग करते हुए, जेनरेटिव एआई डेवलपर टूल 2030 तक दुनिया भर की क्षमता में अतिरिक्त 15 मिलियन “प्रभावी डेवलपर्स” की उत्पादकता लाभ जोड़ सकते हैं.
गिटहब कोपायलट को दस लाख से अधिक डेवलपर्स द्वारा सक्रिय किया गया है और 20,000 से अधिक संगठनों द्वारा अपनाया गया है. 100 मिलियन से अधिक लोग सहित 100 फॉर्च्यून में से 90 कंपनियां गिटहब का इस्तेमाल कर रही हैं.
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एबीएस/एबीएम