पटना, 31 अगस्त . राजद के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने एक बार फिर से जदयू का दामन थामने का फैसला किया है, जो बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है. इस फैसले के बाद श्याम रजक ने से खास बातचीत में अपने इस निर्णय के पीछे के कारणों को साझा किया है.
उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी सोच और विचारों के साथ नीतीश कुमार की सोच को जोड़ने का फैसला किया है, जो समाज के सबसे पिछड़े वर्ग के लिए काम करने की है. इस बातचीत में, श्याम रजक ने अपने राजनीतिक सफर, अपने सिद्धांतों और अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से बात की है.
श्याम रजक ने कहा कि जो लोग मुझे जानते हैं, वे जानते हैं कि मेरा विजन नीतियों, विचारों और मुद्दों के साथ चलता है. मैंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ राजनीति शुरू की थी और उन्होंने मुझे सिखाया था कि सम्मान और स्वाभिमान के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए. उन्होंने मुझे यह भी बताया था कि कोई निर्णय लेने से पहले समाज के सबसे पिछड़े वर्ग के लिए सोचें और देखें कि आपका फैसला उनके लिए कितना लाभकारी होगा. इसलिए, मैंने राजद को छोड़ने का फैसला किया.
उन्होंने कहा कि राजद छोड़ने का फैसला करने के बाद मेरे सामने कई सवाल थे. लेकिन, जब मैंने फुलवारी की जनता और साथियों से राय ली, तो सभी ने मुझे यही राय दी कि मैं नीतीश कुमार के साथ अपनी सोच को जोड़ दूं. मैंने पहले भी कहा था कि मैं लोगों से राय लेकर कोई काम करूंगा. जब मैंने सबकी राय ली और सभी चीजों को मंथन किया, तो मैंने पाया कि मेरी सोच और नीतीश कुमार की सोच मेल खाती है. इसलिए, अगर मैं उनके साथ अपनी सोच को जोड़ दूं, तो मेरी आत्म संतुष्टि होगी और मैं उनके लिए कुछ कर सकने के लिए अपना नैतिक कर्तव्य निभा सकूंगा.
श्याम रजक बिहार के पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता हैं. वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के साथ जुड़े रहे हैं. वह कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. श्याम रजक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में की थी, जब वे जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में समाजवादी आंदोलन से जुड़े थे. बाद में वे राजद में शामिल हो गए और 2000 में बिहार सरकार में मंत्री बने. 2015 में श्याम रजक ने राजद छोड़ दिया और जदयू में शामिल हो गए. वे 2017 तक जदयू में रहे और उसके बाद फिर से राजद में शामिल हो गए थे.
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पीएसके/जीकेटी