डायबिटीज को क्यों कहा जाता है साइलेंट किलर?

नई दिल्ली, 31 अगस्त . आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर दूसरा शख्स किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है. इन बीमारियों से निजात पाना अब चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. इन्हीं में से एक है डायबिटीज. हालांकि, इन बीमारियों से बचने के लिए कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन लोगों की जीवन शैली कुछ ऐसी बन चुकी है कि यह दवाइयां भी कभी-कभी कारगर साबित नहीं हो पाती है.

डायबिटीज या मधुमेह की गंभीरता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि यह आज की तारीख में हर आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग, युवा और महिला भी शामिल हैं. इन्सुलिन हार्मोन के उत्पादन या काम करने की क्षमता की कमी के कारण रक्त में ग्लूकोज (शुगर) की मात्रा बढ़ने को मधुमेह कहा जाता है. इस लंबी चलने वाली बीमारी में तंत्रिकाओ एवं नसों के नुकसान के कारण हृदय रोग, रक्तचाप बढ़ना, किडनी का फेल होना, लकवा लग जाना के अलावा कई समस्याओं का भी खतरा होता है.

इसलिए मधुमेह चुपचाप आपकी जान के जोखिम को बढ़ा देता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, तेजी से दुनियाभर में लोग इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं. मौजूदा समय में दुनियाभर में 53.7 करोड़ और भारत में 8.2 करोड़ लोग इसकी चपेट में हैं. चिकित्सकों ने दावा किया है कि अगर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया, तो आगामी दिनों में मधुमेह मानव समुदाय पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.

अगर आप इस बीमारी से बचे रहना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपनी जीवन शैली में सुधार लाना होगा. मसलन, व्यायाम पर ध्यान देना होगा, तनाव से दूर रहना होगा, खाने पीने की गलत आदतें छोड़नी होंगी. अब आपके जेहन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर कब मधुमेह की जांच करवा लेनी चाहिए, तो जब इस तरह के लक्षण दिखे , तो आपको फौरन इसकी जांच करवा लेनी चाहिए. जब आपको हृदय रोग हो, अग्नाशय की समस्या हो, रक्तचाप बढ़ने की समस्या हो, एचआईवी पीड़ित रोगी हो, कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ रहा हो, मोटापा हो तो ऐसी स्थिति में आपको तुरंत इसकी जांच करा लेनी चाहिए.

एसएचके/एएस