पालघर, 30 अगस्त . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नाम 76 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले वधावन पोर्ट को समर्पित करेंगे. इस पोर्ट की की खास बात यह है कि इसका निर्माण कार्य संपन्न होने के बाद यह भारत के सबसे गहरे पानी के बंदरगाहों में से एक होगा.
इस पोर्ट का निर्माण दो फेज में किया जाएगा. पहला फेज 2029 तक पूरा होगा, वहीं दूसरा फेज 2039 तक पूरा होने की उम्मीद जताई गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसे विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में इस पोर्ट की बड़ी भूमिका होगी.
पोर्ट का ड्राफ्ट 80 मीटर से ज्यादा होगा, इससे बड़े कंटेनर की आवाजाही आसानी से होगी. यहां कुल 9 कंटेनर टर्मिनल बनाए जाएंगे. महाराष्ट्र और नासिक से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पालघर में इस पोर्ट का निर्माण कार्य किया जाएगा. चारों तरफ ग्रीन बेल्ट भी होगा. यह भारत का 13वां पोर्ट होगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इस पर किसी भी मौसम में कोई भी प्रतिकूल असर नहीं होगा.
सभी मौसम में यह पोर्ट खुला रहेगा. साथ ही इस पोर्ट के बन जाने से इंटरनेशनल स्तर पर शिपिंग की कनेक्टिविटी में काफी इजाफा होगा. इससे धन और समय की काफी बचत होगी. अत्याधुनिक तकनीक और बुनियादी ढांचे से लैस इस बंदरगाह में गहरे बर्थ, कुशल कार्गो हैंडलिंग सुविधाएं और आधुनिक पोर्ट प्रबंधन प्रणाली शामिल होगी. इस पोर्ट का निमार्ण कार्य होने से 12 लाख सीधे नौकरियां और कुल मिलाकर एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा. यह पोर्ट महाराष्ट्र की जीडीपी में एक प्रतिशत का योगदान भी करेगा.
इस पोर्ट परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक विश्व स्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार स्थापित करना है, जो बड़े कंटेनर जहाजों की ज़रूरतों को पूरा करते हुए समुद्र के तटीय तल को गहरा बनाकर तथा अति विशाल मालवाहक जहाजों को समायोजित करके देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है. वधावन बंदरगाह भारत की समुद्री कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और देश के व्यापारिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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डीकेएम/