राहुल गांधी की ‘भारत डोजो यात्रा’ पर मायावती का कटाक्ष, कहा- क्या यह गरीबों का उपहास नहीं

लखनऊ, 30 अगस्त . बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ‘भारत डोजो यात्रा’ को लेकर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, महंगाई और पिछड़ेपन आदि के त्रस्त जीवन से जूझ रहे उन करोड़ों परिवारों का क्या जो पेट पालने हेतु दिन-रात कमर तोड़ मेहनत को मजबूर हैं. ‘भारत डोजो यात्रा’ क्या उनका उपहास नहीं?

राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पोस्ट पर एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो बच्चों को मार्शल आर्ट्स के बारे में जानकारी दे रहे थे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जल्द ही वो ‘भारत डोजो यात्रा’ शुरू करने जा रहे हैं.

इसी पर अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को पलटवार करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”पेट भरे लोगों के लिए दोजा व अन्य खेलकूद के महत्व से किसी को इंकार नहीं, लेकिन गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि के त्रस्त जीवन से जूझ रहे उन करोड़ों परिवारों का क्या जो पेट पालने हेतु दिन-रात कमरतोड़ मेहनत को मजबूर हैं. ’भारत डोजो यात्रा’ क्या उनका उपहास नहीं?”

दूसरे एक्स पोस्ट में उन्होंने लिखा, ”केंद्र व राज्य सरकारें देश के करोड़ों गरीबों व मेहनतकश लोगों को सही व सम्मानपूर्वक रोटी-रोजी की व्यवस्था कर पाने में अपनी विफलता पर पर्दा डालने के लिए उनसे भूखे पेट भजन कराते रहना चाहती है, किन्तु विपक्षी कांग्रेस का भी वैसा ही जनविरोधी रवैया जनता को कैसे रास आएगा?”

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आखिर में लिखा, ”कांग्रेस एवं इनके इंडी गठबंधन ने आरक्षण व संविधान बचाने के नाम पर एससी, एसटी व ओबीसी का वोट लेकर अपनी ताकत तो बढ़ा ली, किन्तु अपना वक्त निकल जाने पर उनके भूख व तड़प को भुलाकर उनके प्रति यह क्रूर रवैया अपनाना क्या उचित है? खेल का राजनीतिकरण हानिकारक जो अब और नहीं.”

इससे पहले राहुल गांधी ने वीडियो में शेयर करते हुए एक्स पोस्ट में लिखा था, “भारत जोड़ो यात्रा में हजारों किलोमीटर की यात्रा के दौरान हर शाम को मैं अपने कैंप के अंदर जुजित्सु का अभ्यास करता था. जो चीज फिट रहने के एक सरल तरीके के रूप में शुरू हुई, वह जल्दी ही एक सामाजिक गतिविधि में बदल गई, जिसमें उन शहरों के साथी यात्री और युवा मार्शल आर्ट के छात्र भी साथ आ गए, जहां हम रुका करते थे.”

वह आगे लिखते हैं, “हमारा लक्ष्य युवाओं को इस ‘जेंटल आर्ट’ की खूबसूरती से परिचित करवाना था. ध्यान, जुजित्सु, ऐकिडो और अहिंसक संघर्ष समाधान तकनीकों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है.“

“हमारा उद्देश्य युवाओं में हिंसा को सौम्यता में बदलने की भावना उनके अंदर भरने का था. साथ ही हमारा उद्देश्य युवाओं को अधिक दयालु और सुरक्षित समाज बनाने के लिए साधन प्रदान करना था.”

एसके/जीकेटी