कोलकाता रेप-मर्डर केस में ममता बनर्जी बहा रही घड़ियाली आंसू, नैतिकता के आधार पर देना चाहिए इस्तीफा : गौरव वल्लभ (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 27 अगस्त . 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले में मंगलवार को कोलकाता की सड़कों पर बवाल देखने को मिला. जिसके बाद भाजपा ममता सरकार पर अपराधियों को बचाने का आरोप लगा रही है. इस मामले को लेकर भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने से खास बातचीत की.

सवाल : कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप के बाद हत्या को लेकर जन आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं मुख्यमंत्री आरोपी को फांसी की सजा दिलाने के लिए रैली निकाल रही हैं. इसको लेकर आपका क्या कहना है?

जवाब : इतनी घटिया घटना होने के बाद सबूत मिटाने का काम किसने किया. आज सीबीआई के सोर्स से जो खबरें सामने आ रही है उसके बारे में सोचकर बताएं कि सबूत मिटाने का काम किसने किया. आज ममता बनर्जी इस घटना को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रही है. क्या कांग्रेस के मुंह में दही जम गया है. कांग्रेस इसको लेकर क्यों नहीं बोल रही है कि ममता बनर्जी इसमें दोषी है. कांग्रेस को घबराहट है कि कहीं हमारा गठबंधन टूट गया तो, हम कहां जाएंगे. देखिए कुछ चीज ऐसी होती हैं, जिसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए. महिलाओं के खिलाफ तो यह दुर्व्यवहार की घटना है, यह राजनीतिक घटना नहीं है. भले ही यह घटना कहीं पर भी घटे, उससे पूरा देश शर्मसार होता है. बंगाल में महिलाओं को आगे बढ़ाने की मिसाल दी जाती थी. वहां मुख्यमंत्री महिला है, आज वो घड़ियाली आंसू बहा रही हैं. जो कांग्रेस और टीएमसी के सांसद जोर-जोर से संसद में चिल्लाते थे, जो पार्लियामेंट में अवरोध उत्पन्न करते थे, आज वो लोग कहां गायब हैं.

अब सोशल मीडिया पर एक कमेंट चल रहा है कि ममता बनर्जी अपनी खिलाफत खुद कर रही हैं. ममता बनर्जी जो रैली कर रही हैं, वह खुद ममता बनर्जी के खिलाफ कर रही हैं. इंडिया गठबंधन के जो नेता हैं, वह चुपचाप बैठे हैं. अभी वह बंगाल की घटना पर नहीं बोलते हैं. वह कहते हैं कि मिस यूनिवर्स में कितने ओबीसी थे, कितने दूसरी जाति के थे. बंगाल में एक महिला डॉक्टर के साथ जिस तरीके की घटना हुई, मैं मानता हूं कि ममता बनर्जी में अगर थोड़ी बहुत सहानुभूति है तो उनको इस्तीफा दे देना चाहिए. राज्य का लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है.

सवाल : हरियाणा में मतदान की तारीख बदल सकती है. चुनाव आयोग नई तारीख पर विचार कर रहा है. ऐसे में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरकार बनाने का दावा कर रही है.

जवाब : एक महीने पहले तो कांग्रेस और आप साथ में चुनाव लड़ रहे थे. एक-दो महीने पुरानी बात है. आम आदमी पार्टी का सीएम शराब घोटाले में जेल में हैं. उसकी सहानुभूति में कांग्रेस की पूरी लीडरशिप रामलीला मैदान पर धरना दे रही थी. उनके लिए भाषण दे रही थी. अब एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे. इंडिया गठबंधन का एजेंडा मोदी को हटाने का है. देश को आगे ले जाने का एजेंडा नहीं है. इनको बस मोदी से दिक्कत है. क्योंकि मोदी देश को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं. चार महीने पहले तो एक दूसरे के लिए इन्हीं दोनों पार्टी के नेता प्रचार कर रहे थे. हरियाणा में 10 सीटों में से 9 सीटों पर कांग्रेस लड़ रही थी और एक सीट पर आम आदमी पार्टी लड़ रही थी. इनको ना तो देश की जनता से और न ही हरियाणा की जनता से कोई लेना देना है. कांग्रेस पार्टी में भी पांच-छह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. हो सकता है कि उनमें से एक दो पार्टी छोड़ दे.

सवाल : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं. इसे कैसे देखते हैं.

जवाब : यह आदिवासी के हित की बात करने वाले लोगों के लिए आदिवासी का मतलब स्वयं का परिवार है. इनके लिए दूसरे लोग आदिवासी नहीं है. आज झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं का मतलब आदिवासी सिर्फ हेमंत सोरेन का परिवार है. जब वो जेल गए तो पहले कोशिश की गई कि उनकी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दें. जब वह गुणा भाग नहीं बैठा तो चंपई सोरेन जी को बागडोर सौंपी गई. जिस दिन हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए, 4 घंटे के अंदर हीं चंपई सोरेन को हटा दिया गया. आदिवासी का मतलब क्या आप ही हो? क्या चंपई सोरेन आदिवासी नहीं हैं? हेमंत सोरेन केवल आदिवासी-आदिवासी कहकर उसका फायदा लेते हैं पर आदिवासियों के लिए आगे बढ़कर उनको सत्ता नहीं सौपेंगे. सत्ता सिर्फ अपने परिवार के पास रखेंगे. पूरा आदिवासी समाज इसे बहुत नजदीक से देख रहा है और उसकी भम्र जो जेएमएम के लिए था, वो टूट गया है. चंपई सोरेन का विश्वास अब टूट चुका है. उन्होंने आदिवासियों के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया. उनसे हेमंत सोरेन के जेल से निकलते ही चार घंटे के अंदर इस्तीफा ले लिया.

आदिवासी समाज के सामने जो जेएमएम का मुखौटा था, वो उतर गया है. आदिवासियों को आगे बढ़ना हेमंत सोरेन का एजेंडा नहीं है. उन्होंने अपने भाई और भाभी को आगे नहीं बढ़ने दिया. वह सिर्फ या तो खुद आगे बढ़ना चाहते हैं या अपनी पत्नी को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यही उनके लिए आदिवासी है. परिवार के अलावा किसी और आदिवासी को यह लोग सत्ता में भागीदार नहीं बनाना चाहते हैं. आदिवासी समाज इसे बहुत नजदीक से और बहुत गंभीरता से देख रहा है. आगामी झारखंड चुनाव में आदिवासी समाज इसका बदला ईवीएम की मशीन पर कमल का बटन दबाकर जरूर लेगा.

सवाल : हरियाणा में अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन के साथ लड़ती है, तो बीजेपी को नुकसान होगा या फायदा?

जवाब : भारतीय जनता पार्टी गवर्नेंस के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है. हमने 10 साल में हरियाणा में क्या किया और अगले 5 साल में क्या करेंगे, इस एजेंडे के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. यह सब भले मिल जाएं या सब अलग हो जाएं, इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है. हम पॉजिटिव एजेंडे पर और परफॉर्मेंस पर चुनाव लड़ते हैं. हम इस एजेंडे पर चुनाव नहीं लड़ते कि इस जाति का वोट यहां ले लो, मिस यूनिवर्स किस जाति की है, ओलंपिक का खिलाड़ी किस जाति का है. हम सबका साथ, सबका विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ते हैं. हम हरियाणा को आगे ले जाने के मुद्दे पर चुनाव लड़ते हैं. हम अपने 10 साल के रिपोर्ट कार्ड पर चुनाव लड़ते हैं.

सवाल : जननायक जनता पार्टी 70 सीट पर और आजाद समाज पार्टी 20 सीट पर हरियाणा में गठबंधन कर चुनाव में उतर रही है. इससे बीजेपी का फायदा होगा या नुकसान?

जवाब : हमारा इलेक्शन का जो एजेंडा है वो दस साल का काम और अगले पांच साल क्या करना चाहते हैं, इस पर है. यह लोग पॉलिटिकल अलायंस बनाकर पॉलीटिकल फॉर्मेशन के आधार पर चुनावी लाभ उठाना चाहते हैं. हरियाणा के लोगों ने दस साल तक बीजेपी को अपना विश्वास दिया है. ऐसे में इस बार तीसरी बार हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने जा रही है. राजनीतिक गुणा भाग से हरियाणा के लोग उब चुके हैं.

एकेएस/जीकेटी