ओलंपिक मेडल जीतने के लिए खिलाड़ियों में मानसिक मजबूती का होना जरूरी : जीव मिल्खा सिंह

नई दिल्ली, 27 अगस्त . पेरिस ओलंपिक अभियान के समापन के बाद भारतीय एथलीटों को 2028 में होने वाले लॉस एंजिल्स ओलंपिक के लिए अपनी तैयारियां करनी हैं. भारत के दिग्गज धावक मिल्खा सिंह के समय से बाद से अब तक भारतीय एथलेटिक्स का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है. भारत की झोली में कई ओलंपिक मेडल आए भी हैं लेकिन कुछ इवेंट ऐसे हैं जहां भारत के लिए पदक दूर की कौड़ी साबित हुआ है. उनमें एक इवेंट है- गोल्फ.

मिल्खा सिंह के बेटे और भारत के दिग्गज गोल्फर जीव मिल्खा ने से बात करते हुए कहा कि भारत को ओलंपिक गोल्फ में मेडल तभी मिलेगा जब खिलाड़ी मानसिक तौर पर बहुत मजबूत होगा. उन्होंने कहा, “खिलाड़ियों के पास स्किल, उपकरण, सुविधाओं के साथ सब कुछ होता है. लेकिन ओलंपिक में उस सप्ताह जिसका बल्ला चल गया वह मेडल जीत जाता है. इसलिए खिलाड़ियों को मेंटली स्ट्रांग होने की जरूरत है.”

मिल्खा सिंह के समय के बाद से एथलेटिक्स में आए बदलाव, नीरज चोपड़ा द्वारा गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतने से आए बदलावों पर बात करते हुए जीव मिल्खा सिंह ने कहा, “जब पापा ने एथलेटिक्स शुरू किया था, तब कुछ भी नहीं था. उनको तो केवल भारत का ब्लेजर पहनना था. लेकिन तब से लेकर अब तक वक्त बहुत बदल चुका है. खिलाड़ियों के पास उपकरण आ चुके हैं. सरकार इतनी फंडिंग कर रही है. खिलाड़ियों के पास तमाम तरह की जानकारियां हैं. देश के लिए मर-मिटने वाले उनके इरादे भी बहुत मजबूत हैं. इसी वजह से हमारे पास इतने मेडल आ रहे हैं. यह खुशी और गर्व की बात है. मैं यही कहना चाहूंगा कि खिलाड़ी भविष्य में और अच्छा करें. देश का नाम रोशन करें.”

जीव मिल्खा सिंह ने अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा, “मैं भविष्य में सीनियर टूर खेलूंगा. मेरी कोशिश खुद को फिट बनाए रखना है और मैं 70 साल तक खेलना चाहता हूं. मेरी कोशिश यही रहेगी कि सीनियर टूर पर देश के लिए मेजर खिताब जीत पाऊं.”

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