पटना, 23 अगस्त . राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से पिछले कुछ महीनों में कई नेताओं का मोहभंग हुआ है और उन्होंने पार्टी छोड़कर नया ठिकाना तलाश लिया है. इसी पंक्ति में बिहार की सियासत में दलित चेहरा माने जाने वाले श्याम रजक भी शामिल हो गए हैं.
संभावना व्यक्त की जा रही है कि बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक अपने पुराने ठिकाने जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो सकते हैं. माना यह भी जा रहा है कि श्याम रजक के जदयू में शामिल होने से प्रदेश की सियासत का समीकरण भी बदलेगा.
दरअसल, श्याम रजक जदयू छोड़कर ही राजद में गए थे. हाल के दिनों में देश में आरक्षण को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है. ऐसे में यह महज संयोग नहीं हो सकता कि श्याम रजक जैसे नेता ने राजद छोड़ने का निर्णय इस समय लिया है.
रजक की पहचान बिहार में एक दलित नेता की रही है. इसके अलावा बिहार में दलित नेता का चेहरा माने जाने वाले लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी एनडीए के साथ हैं. ऐसे में अगर श्याम रजक जदयू में आ जाते हैं तो माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले चुनाव में दलित वोटरों को लुभाने में एनडीए राजद से मजबूत नजर आएगा.
वैसे, दलित का एक चेहरा माने जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी अभी भी राजद के साथ हैं.
देखा जाय तो पिछले कुछ महीनों में कई नेताओं का राजद से मोहभंग हुआ है. श्याम रजक से पहले बिहार के मंत्री वृशिण पटेल, रामा सिंह, पूर्व डीजीपी करुणा सागर, अशफाक करीम राजद छोड़ चुके हैं.
विधानसभा में भी राजद के विधायकों की संख्या कम हुई है. विधानसभा में भी चेतन आनन्द, नीलम देवी, संगीता कुमारी और प्रहलाद यादव राजद को छोड़कर एनडीए के साथ गलबहियां कर रहे हैं.
वैसे, राजद के नेता श्याम रजक के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ने की बात कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने अब तक अपने भविष्य की राजनीति को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है.
बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि रजक का अगला राजनीतिक दांव क्या होगा. लेकिन, इतना तय माना जा रहा है कि श्याम रजक का राजद छोड़ना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है.
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एमएनपी/