रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट : संदिग्ध आतंकियों को लेकर घटनास्थल पहुंची एनआईए, खुलेंगे राज

बेंगलुरु, 5 अगस्त . बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सोमवार को दो संदिग्ध आतंकियों को लेकर घटनास्थल पर पहुंची. एनआईए ने ब्लास्ट के पांच महीने के बाद घटनास्थल का निरीक्षण किया.

जानकारी के अनुसार, एनआईए की टीम सोमवार सुबह 5.30 बजे रामेश्वरम कैफे पहुंची. उनके साथ ब्लास्ट में शामिल दोनों संदिग्ध आतंकी भी थे. कैफे के बाहर 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया. इस दौरान लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए आसपास के इलाके में बैरिकेड लगा दिए गए.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, एनआईए के अधिकारी ब्लास्ट के पांच महीने के बाद संदिग्ध आतंकी मुसाविर हुसैन शाजिब और मास्टरमाइंड अब्दुल मथीन ताहा को कैफे में लेकर आई. विस्फोट 1 मार्च को हुआ था.

अधिकारियों ने कहा कि घटनास्थल का जायजा इसलिए किया गया ताकि घटना वाले दिन क्या हुआ था, इस बात का अंदाजा लगाया जा सके. एनआईए ने 12 अप्रैल को कोलकाता में बम विस्फोट का संदिग्ध मुसाविर हुसैन शाजिब और मास्टरमाइंड अब्दुल मथीन ताहा को गिरफ्तार किया था.

जांच से पता चला कि दोनों संदिग्ध आतंकियों ने व्हाइटफील्ड आईटी कॉरिडोर में से एक आईटी पार्क को निशाना बनाने की योजना बनाई थी ताकि बेंगलुरु की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर ध्यान आकर्षित किया जा सके.

सूत्रों ने कहा कि आरोपियों ने देश के प्रमुख शहरों के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में बम लगाने के लिए भी रिसर्च किया था. उनका मकसद सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से जुड़े लोगों को निशाना बनाना और उनमें डर पैदा करना था. आरोपी जानते थे कि इस तरह की घटना से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि खराब होगी.

आईटी पार्कों में घुसने में विफल होने के बाद उन्होंने टेक सेक्टर में काम करने वालों को निशाना बनाने की योजना पर काम किया. उन्होंने रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट करने की योजना बनाई, क्योंकि यह व्हाइटफील्ड में टेक कॉरिडोर ब्रुकफील्ड इलाके में स्थित था.

रामेश्वरम कैफे में ‘राम’ नाम ने भी उनका ध्यान आकर्षित किया, जो कैफे को निशाना बनाने के प्रमुख वजहों में से एक था. सूत्रों ने कहा कि बड़ी संख्या में टेकी हर दिन कैफे में आते हैं और आतंकवादियों ने वहां बम लगाने का फैसला किया.

संदिग्ध आतंकी मुसाविर ने 1 मार्च को कैफे का दौरा किया था और परिसर में कम तीव्रता वाले आईईडी को लगाया था. विस्फोट में कई कर्मचारी घायल हो गए, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा.

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