श्रीनगर, 3 अगस्त . जम्मू-कश्मीर सरकार ने आतंकी (टेरर) फंडिंग में संलिप्तता के आरोप में शनिवार को छह सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया.
आधिकारिक बयान के अनुसार, पुलिसकर्मियों सहित छह अधिकारी ड्रग्स की बिक्री के जरिए टेरर फंडिंग में संलिप्त पाए गए. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) का इस्तेमाल किया.
बयान के अनुसार, ”जांच से पता चला है कि वे पाकिस्तान की आईएसआई और उसकी जमीन से संचालित आतंकवादी समूहों द्वारा संचालित नार्को-टेरर नेटवर्क का हिस्सा थे.”
जम्मू-कश्मीर सरकार उन दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है जो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में आतंकवाद और अलगाववादी अभियान को समर्थन देने में लिप्त पाए गए हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत यह सक्रिय कार्रवाई 2019 के बाद शुरू हुई है, जब आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया गया था.
अब सरकारी अधिकारियों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे पदोन्नति से पहले खुफिया विभाग से क्लियरेंस लें. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अलगाववादी और ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोग सिविल सेवाओं और पुलिस में प्रवेश न कर सकें. जिससे राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा को खतरा न पहुंच सके.
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एफजेड/केआर