शिमला/नई दिल्ली, 2 अगस्त . हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उप-क्षेत्रीय इकाई ने 31 जुलाई को धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए)-2002 के तहत दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू जिला) में 20 से अधिक स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया.
यह कार्रवाई श्री बांके बिहारी अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल हिमाचल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, सिटी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, श्री हरिहर अस्पताल, सूद नर्सिंग होम, नीलकंठ अस्पताल और उनके प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों डॉ. विजेंद्र मिन्हास, रघुबीर सिंह बाली, डॉ. प्रदीप मक्कर, डॉ. राजेश शर्मा, मनोज भाटिया, डॉ. मनोज सूद और डॉ. हेमंत कुमार के खिलाफ की गई है.
ईडी ने राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसवी एवं एसीबी), ऊना (हिमाचल प्रदेश) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. यह जांच फर्जी एबी-पीएमजेएवाई आईडी कार्ड बनाने के लिए किरण सोनी, श्री बांके बिहारी अस्पताल, ऊना, (एचपी) और अन्य के खिलाफ की गई.
ईडी की जांच में सामने आया कि बांके बिहारी अस्पताल के अलावा श्री बालाजी अस्पताल, सूद नर्सिंग होम, फोर्टिस अस्पताल और श्री हरिहर अस्पताल आदि ने फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर सरकार से करीब 40 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया है. जांच के दौरान, 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों की पहचान की गई है.
ईडी ने पाया है कि हिमाचल प्रदेश में अब तक 8,937 आयुष्मान गोल्डन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं. इस पूरे मामले में करीब 25 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का पता चला है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने की गई तलाशी के दौरान करीब 88 लाख रुपये नकद, चार बैंक लॉकर और 140 से अधिक बैंक खातों का पता लगाया है. इसके अलावा, चल-अचल संपत्ति, अकाउंट बुक और अन्य दस्तावेजों के अलावा, 16 डिजिटल डिवाइस जैसे मोबाइल फोन, आईपैड, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव भी जब्त किए गए हैं. इनमें आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, हिमकेयर और अन्य स्वास्थ्य योजनाओं से संबंधित दावों और दस्तावेजों की जानकारी मिली है.
जब्त किए गए दस्तावेजों में अस्पतालों द्वारा किए गए दावों की जानकारी है और इसमें 23,000 मरीजों के लिए 21 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का भी पता चला है.
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एएस/एबीएम