नई दिल्ली, 1 अगस्त . सभी शिवभक्तों ने सावन का महीना पूरी भक्ति-भाव के साथ मनाया. ऐसे में देशभर के सभी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली. वैसे तो एक साल में कई शिवरात्रि आती हैं मगर सावन मास की शिवरात्रि बेहद खास मानी जाती है.
2 अगस्त को देशभर में फाल्गुन मास की शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा, जिसका भक्तों को पूरे माह से इंतजार है. अब तक लगभग सभी कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर अपने-अपने शहर पहुंच चुके हैं. जो कल सुबह शिवलिंग का जलाभिषेक करेंगे.
वैसे तो सालभर में लगभग 10 से ज्यादा शिवरात्रि आती हैं मगर सावन में आने वाली शिवरात्रि का अपना एक विशेष ही महत्व है.
इस मास की शिवरात्रि कई तरह से खास है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए हलाहल पी लिया था. ऐसी भी मान्यता है कि इस माह भगवान खुद धरती पर आते है.
बता दें कि सावन की इस शिवरात्रि में भगवान पर जल चढ़ाने के कई तरह के चौंकाने वाले फायदे भी होते हैं. भक्त इस सावन के माह में ही कांवड़ लेकर आते हैं.
ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन में नियमित तौर पर शिव का जलाभिषेक करता है, उसकी औढरदानी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
शिव पुराण में कहा गया है कि सावन शिवरात्रि का व्रत करने से आपको पूरे सावन की पूजा के बराबर का फल मिलता है. इससे व्यक्ति का मन तो शुद्ध होता ही है साथ में परिवार में भी खुशियां आती है. इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इस दिन रुद्राक्ष, काले तिल, देसी घी और शिवलिंग पर चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाना बेहद ही शुभ माना जाता है. शिवभक्त इस खास दिन पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं.
लोगोंं में इस बात को लेकर भी कन्फ्यूजन बना हुआ है कि आखिर शिवरात्रि का व्रत कब रखा जाए. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 3 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में भक्त 2 अगस्त को उपवास रखना श्रेयस्कर होगा.
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एमकेएस/केआर